राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल की वैल्यू कम होती जा रही है। किसी भी यूनिवर्सिटी की वैल्यू एडमिशन के समय ही पता चलती है। इंदौर में MBA एडमिशन के दौरान दो एक्स्ट्रा राउंड कंप्लीट हो जाने के बाद भी 4000 सीट खाली रह गई है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या आरजीपीवी से मान्यता वाले कॉलेज की है।
इस बार कॉलेज में 5200 सेट बढ़ाई गई थी
इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से संबद्धता वाले एमबीए कोर्स को ही छात्रों ने महत्व दिया। उसमें भी इस बार कोर एमबीए के बजाय अलग-अलग स्पेशलाइजेशन का क्रेज बढ़ा है। असल में इस बार इंदाैर में कॉलेजाें में 5200 सीटाें की रिकॉर्ड बढ़ाेतरी हुई थी। पहले डीएवीवी के दायरे के 62 कॉलेजाें में 9200 सीटें थीं। इस बार 69 कॉलेजाें में 14 हजार 200 सीटें थीं, लेकिन अंतिम अतिरिक्त राउंड के बाद भी 10 हजार के आसपास ही एडमिशन हुए। यानी इस साल जितनी सीटें कॉलेजों ने बढ़ाई थीं, उनमें से 20 प्रतिशत भी नहीं भर पाई हैं।
3 महीने तक एडमिशन की प्रक्रिया चलती रही
दरअसल, डीटीई (डायरेक्टर ऑफ टेक्निकल एजुकेशन) ने तीन माह एडमिशन प्रक्रिया चलाई। 27 जुलाई से एडमिशन का पहला राउंड शुरू हुआ था। अक्टूबर अंत तक आखिरी राउंड खत्म हुआ। 1 नवंबर से नया सत्र शुरू हाे चुका है। शिक्षाविद् डॉ. संगीता भारुका कहती हैं एमबीए के प्रति क्रेज कभी इतना कम नहीं हुआ। अभी भी बरकरार है। कुछ अलग-अलग वजह से सीटें नहीं भर पाईं, लेकिन एमबीए फाइनेंस, मार्केटिंग, एचआर, ऑपरेशन मैनेजमेंट, बिजनेस इकोनॉमिक्स और अन्य स्पेशलाइजेशन की खासी डिमांड रही है। जिन कॉलेजाें में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर व क्वालिटी एजुकेशन के साथ ही प्लेसमेंट है, वहां एडमिशन फुल हाे रहे हैं।
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