Legal general knowledge and law study notes
अपराधी को किसी भी प्रकार से शरण देना अपराध है। कई बार कुछ लोग धन के लालच में अपराधी को शासन एवं पुलिस से छुपाने और उसकी गिरफ्तारी से बचने का काम करते हैं। इस प्रकार के लालची लोगों को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में एक विशेष धारा का प्रावधान किया गया है।भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 213 की परिभाषा
यदि कोई व्यक्ति पुलिस अथवा शासन की कार्रवाई से बचने के लिए स्वयं को किसी अज्ञात स्थान पर छुपाना चाहता है, ऐसे व्यक्ति को रिश्वत लेकर उसे छुपाना, गिरफ्तारी से बचाना, उसकी भागने में मदद करने वाला व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 213 के तहत अपराधी घोषित किया जाता है एवं न्यायालय द्वारा दंडित किया जाता है। यहां महत्वपूर्ण है कि, शरण देने वाला व्यक्ति यह जानता है कि, शरण मांगने वाला व्यक्ति अपनी संभावित गिरफ्तारी अथवा कार्रवाई से बचने के लिए छुपना चाहता है।
Indian Penal Code, 1860 section 213 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध की सजा को निम्न भागों में बांटा गया है:-
1. मृत्यु दण्ड से दण्डित अपराधी को रिश्वत लेकर बचाने पर:- अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित होगा।
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास से दण्डित अपराध के अपराधी को बचाने या छुपाने पर अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित अपराधी को बचाने या छुपाने के लिए अधिकतम कुल अपराध की सजा से एक चौथाई सजा या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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