Legal general knowledge and law study notes
भारतीय दंड संहिता में अपराधी को गिरफ्तारी से अथवा सजा से बचाने के लिए किसी भी प्रकार का प्रयास अपराध है। रिश्वत लेकर अपराधी की मदद करना भी अपराध है इसके साथ ही रिश्वत देने वाले अपराधी को भी एक नए अपराधिक मामले का सामना करना पड़ता है और अतिरिक्त सजा भुगतना नहीं पड़ सकती है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 214 की परिभाषा
एक अपराधी यदि स्वयं को सजा से बचाने के लिए किसी भी सांस किया अधिकारी अथवा कर्मचारी अथवा अपने रिश्तेदार या किसी भी अन्य नागरिक को किसी भी प्रकार की रिश्वत, उपहार, संपत्ति अथवा अन्य किसी भी प्रकार का सौदा, लाभ या लाभ का अनुबंध, अथवा वचन इत्यादि देता है तो वह अपराधी, आईपीसी की धारा 214 के तहत भी अपराधी घोषित किया जाएगा और उसे इस अपराध के लिए भी दंडित किया जाएगा।
Indian Penal Code, 1860 section 214 Punishment
इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध की सजा को निम्न भागों में बांटा गया है:-
- यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है तो 7 साल का कठोर कारावास और जुर्माना।
- यदि अपराध आजीवन कारावास अथवा अन्य 10 वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय है तो 3 साल का कठोर कारावास और जुर्माना।
- यदि अपराध काम 10 वर्ष से कम कारावास से दंडनीय है तो उसकी अधिकतम अवधि का एक चौथाई कठोर कारावास एवं जुर्माना। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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