Legal general knowledge and law study notes
यदि किसी की प्रॉपर्टी किसी ऐसे विवाद में फंसी है, जो भारतीय दंड संहिता के अधीन अपराध है। तब उसे विवाद का निपटारा न्यायालय की जानकारी और अनुमति के बिना करना और उसके लिए किसी भी प्रकार का उपहार, फीस अथवा रिश्वत लेना एक दंडनीय अपराध है। ऐसे व्यक्ति के लिए जुर्माना के साथ जेल का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 215 की परिभाषा
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 215 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति वापस पाने में मदद करने के बहाने, उस अपराधी को पकड़े बिना, जो वंचित करने के लिए ज़िम्मेदार था, परितोषण आदि लेता है, तो उसे दंड दिया जाएगा। उदाहरण:-
- चोरी गया वाहन, चोर को पकड़वाय बिना, वापस दिलवाना।
- लूट लिए गए आभूषण अथवा आवश्यक दस्तावेजों को वापस दिलवाना।
Indian Penal Code, 1860 section 215 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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