IPC 216 - जेल से भागे अपराधी को शरण देने वाले को कितनी सजा मिलती है, यहां पढ़िए

Bhopal Samachar

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न्यायालय द्वारा दंडित किए जाने के बाद अपराधी को जेल में बंद कर दिया जाता है। कभी-कभी अपनी निर्धारित सजा पूरी होने से पहले ही जेल से फरार हो जाते हैं। ऐसे अपराधियों को शरण देना, उनकी छुपाने में मदद करना, अथवा उसकी लोकेशन पता होने के बावजूद पुलिस को जानकारी नहीं देना, गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। पढ़िए ऐसे लोगों को किस प्रकार की सजा दी जाती है।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 216 की परिभाषा

जब कोई अपराधी जेल की अभिरक्षा से भाग गया हो या किसी लोक सेवक द्वारा उसे पकड़ने का आदेश दिया गया हो तब कोई व्यक्ति ऐसे अपराधी को आश्रय देगा, छिपाएगा वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता, की धारा 216 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाएगा एवं न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।

Indian Penal Code, 1860 section 216 Punishment

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध की सजा को निम्न भागों में बांटा गया है:-
1. मृत्यु दण्ड से दण्डित फरार अपराधी को आश्रय देने पर:- अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना  से दण्डित होगा
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास से दण्डित अपराध के फरार  अपराधी को आश्रय देने या छुपाने पर अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित अपराधी को आश्रय देने  या छुपाने के लिए अधिकतम कुल अपराध की सजा से एक चौथाई सजा या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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