Legal general knowledge and law study notes
कोई व्यक्ति किसी अपराध को करता है, और अपराध संज्ञेय श्रेणी में आता है तब पुलिस अधिकारी का कर्तव्य होता है कि वह तुरंत आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करे एवं उसे कस्टडी में ले। लेकिन बहुत से पुलिस अधिकारी ऐसा नहीं करते है और कुछ पैसों के लालच में गिरफ्तारी करने को लोप कर देते हैं अर्थात जानबूझकर कर आरोपी को गिरफ्तार नहीं करता है। तब उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 221 की परिभाषा
जो कोई लोक सेवक जिससे किसी आरोपी व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को पकड़ने का दायित्व दिया गया है और वह वैध रूप से पकड़ने के लिए हकदार है वह उसे जानबूझकर गिरफ्तार नहीं करता है या गिरफ्तारी का लोप करता है तब वह लोक सेवक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 221 के अंतर्गत दोषी होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 220 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनों प्रकार के हो सकते हैं यह जमानतीय अपराध हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध की सजा को निम्न भागों में बांटा गया है:-
1. मृत्यु दण्ड से दण्डित आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी न करने पर:- अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित होगा।
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास तक के दण्डित व्यक्ति की गिरफ्तारी न करने पर:- अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित आरोपी की गिरफ्तारी न करने पर अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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