Legal general knowledge and law study notes
जब कोई न्यायालय किसी आरोपी या अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए कोई वारंट या दंडादेश जारी कर देता है और कोई पुलिस अधिकारी आरोपी या अपराधी को बचाने के लिए उन आदेशों का पालन नहीं करता है या उसे भाग निकलने के लिए मोका देता है तब उसके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी जानिए।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 222 की परिभाषा
जब किसी लोक सेवक को दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा आदेश दिया गया है और लोक सेवक उस आदेश का लोप करता या आरोपी को गिरफ्तार नहीं करता है उसे भगाने में उसकी मदद करता है तब उस लोक सेवक पर उपरोक्त धारा 222 के अंतर्गत मामला दर्ज होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 220 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय एवं अनजमानतीय दोनों प्रकार के होते हैं इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय एवं प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध की सजा को निम्न भागों में बांटा गया है:-
1. मृत्यु दण्ड से दण्डित अपराधी या आरोपी को गिरफ्तार न करने पर:- अधिकतम आजीवन कारावास से चौदह वर्ष की कारावास या जुर्माना सहित दंड से दण्डित होगा।
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास से दण्डित अपराध के अपराधी या आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने पर अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना सहित दण्डित किया जा सकता है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित अपराधी या आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने प अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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