Legal general knowledge and law study notes
जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को कर देता है, तब उस पर अपराध करने का आरोप लगता है और उसे आरोपी व्यक्ति कहते हैं और यही आरोप न्यायालय द्वारा सिद्ध हो जाता है तब वह अपराधी हो जाता है। ऐसे आरोपियों या अपराधियों को अवैध तरीके से गिरफ्तारी से बचाना, जेल से भगाना, पुलिस कस्टडी से निकालना एक गंभीर अपराध होता है जानिए।भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 225 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी आरोपी को, किसी दोषसिद्ध अपराधी को गिरफ्तार होने से रोकेगा, उसे अवैध तरीके से पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा से छुड़वायागा,या भगाएंगा तब वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 225 के अंतर्गत दोषी होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 225 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय और अजमानतीय दोनों प्रकार के होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट एवं सेशन न्यायालय द्वारा होती है सजा- इस धारा के अपराध के दण्डो को पाँच भागों में बांटा गया है
1▪︎ यदि आजीवन कारावास से दस वर्ष की कारावास वाले अपराध से दण्डित आरोपी को छुड़ाने, बचाने के लिए- अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
2▪︎ मृत्यु दण्ड से दण्डित अपराध से दण्डित आरोपी को बचाने या छुड़ाने के लिए- अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
3▪︎ यदि आजीवन कारावास से दस वर्ष की कारावास वाले अपराध से दण्डित अपराधी को छुड़ाने, बचाने के लिए- अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
4▪︎ म्रत्यु दण्ड से दण्डित अपराधी को बचाने या छुड़ाने के लिए- अधिकतम आजीवन कारावास या दस वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
5▪︎ किसी अन्य अपराध उपरोक्त को छोड़कर दण्डित अपराधी या आरोपी को बचाने, गिरफ्तार होने से भगाने आदि के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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