IPC 225A - कैदी को भगाने, जानबूझकर लापरवाही करने वाले अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ दंड प्रावधान

Bhopal Samachar

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भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 223 में हमने बताया था की अगर किसी लोक सेवक की लापरवाही के कारण, कोई कैदी अभिरक्षा से भाग जाता है तो वह लोक सेवक इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा लेकिन अगर लोक सेवक खुद जानते हुए लापरवाही करके किसी व्यक्ति को भगा देता है अभिरक्षा से तो उसके खिलाफ एक नई धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 225 (क) की परिभाषा

अगर कोई लोक सेवक जानबूझकर लापरवाही करके किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करेगा या अभिरक्षा से भगाएगा तब वह लोक सेवक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 225 (क) के अंतर्गत दोषी होगा। साधारण शब्दों मे कहें तो कोई पुलिस अधिकारी या जेल का गार्ड कारागार का ताला जानबूझकर लॉक न करे, ताकि गिरफ्तार व्यक्ति भाग जाए, तब ऐसा करने वाला लोक सेवक इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।

Indian Penal Code, 1860 section 225A Punishment 

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इस अपराध की सुनवाई एवं सजा निम्न प्रकार से होती हैं:-
1▪︎ अगर जानते हुए किसी को अभिरक्षा से भगाना- सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा एवं अधिकतम तीन वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
2▪︎ अगर जानते हुए लापरवाही द्वारा किसी व्यक्ति को अभिरक्षा से भागा देना- सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है एवं अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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