Legal general knowledge and law study notes
समय समय पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत से मामलों मे स्पष्ट किया है कि किसी भी बलात्कार से पीड़िता की पहचान उजागर न की जाए, क्योंकि यह उनकी प्रतिष्ठा पर प्रहार होता है। जिसके कारण उनको मानसिक क्षति हो सकती है। इसी आधार पर दण्ड विधि संशोधन अधिनियम, 1983 की धारा 02 के अनुसार एक नवीन धारा स्थापित की गई इसका उद्देश्य बलात्कार से शिकार महिलाओं को सामाजिक बलीकरण एवं लाछन से बचाना है। अगर कोई व्यक्ति किसी किसी बलात्कार से पीड़ित महिला का नाम या पहचान उजागर करता है तो उसके खिलाफ क्या कानूनी कार्यवाही होगी अब जानिए:-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 228 (क) की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी आईपीसी की धारा 376 के अपराध से पीड़ित महिला पहचान उजागर करता है, किसी बात को मुद्रित करता है, या उसकी पहचान को प्रकाशित करता है वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 228 क के अंतर्गत दोषी होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 228a Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- न्यायालय की अनुमति द्वारा किसी पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध नहीं होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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