Legal general knowledge and law study notes
मानव शरीर को बीमार करने वाले ऐसे रोगाणु, वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी एवं कभी-कभी प्रियन जैसे सूक्ष्म जीव, जो एक शरीर से दूसरे शरीर में संक्रमण करते हैं एवं दूसरे शरीर को भी बीमार बना देते हैं, जैसे मलेरिया, टायफ़ायड, चेचक, इन्फ़्लुएंज़ा अथवा कोरोना, ऐसे रोगों को संक्रामक रोग कहा जाता है। संक्रामक रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए सरकार द्वारा एक प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है। उसे स्वस्थ हो जाने तक दूसरे व्यक्तियों के संपर्क से दूर रहना होता है ताकि संक्रमण नहीं फैले। कुछ लोग गाइडलाइन का पालन नहीं करते और उनके कारणदूसरे व्यक्ति संक्रामक रोग का शिकार हो जाते हैं। भारतीय दंड संहिता के अनुसारयह एक प्रकार का अपराध है और इसके लिए भी दंड प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 269 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति उपेक्षापूर्ण ,लापरवाही द्वारा जानते हुए कोई संक्रामक रोग फैलाता है जिससे की किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को शारीरिक क्षति होने की संभावना हो या जिसके कारण कोई संकटपूर्ण स्थिति बनने वाली हो तब येसा व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 269 के अंतर्गत दोषी होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 269 Punishment
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम छ: माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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