IPS संजय माने नहीं रहे, ग्वालियर चंबल के डाकुओं को खदेड़ दिया था - BHOPAL SAMACHAR

Bhopal Samachar
भारतीय पुलिस सेवा मध्य प्रदेश कैडर 1979 बैच के अधिकारी श्री संजय माने नहीं रहे। उनकी उम्र मात्र 61 वर्ष थी। मध्य प्रदेश पुलिस सेवा में उनका नाम हमेशा गौरव से लिया जाएगा। ग्वालियर चंबल संभाग की डकैत समस्या को समाप्त करने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

संजय वसंतराव माने - निपाणी के पहले आईपीएस ऑफिसर

श्री संजय वसंतराव माने मूल रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर स्थित निपाणी के रहने वाले थे। श्री माने निपानी के पहले बालक थे जो आईपीएस अधिकारी बना। इसके कारण निपानी में उनका बड़ा सम्मान था। कुछ समय तक उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में सेवाएं दी। उसके बाद अपना कैडर चेंज करके मध्य प्रदेश आ गए थे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के इंदौर में अपना आवास बना लिया था। संजय माने का मूल गांव मलिकवाड (ता. चिकोडी) है। उनका प्राथमिक शिक्षा जत्राटवेस में, माध्यमिक शिक्षा विद्यामंदिर में और महाविद्यालयीन शिक्षा देवचंद कॉलेज अर्जुननगर में हुई, जिसके बाद उन्होंने आगे की डिग्री की शिक्षा सुरतकल (मंगलौर) में प्राप्त की। श्री संजय माने परिवर्तन आंदोलन के नेतृत्वकर्ता डॉ. अच्यूत माने के भतीजे और निपाणी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष अजय माने के भाई थे। उनके पश्चात माता, पत्नी, दो बच्चे, दो भाई और बहन हैं। 

संजय माने IPS को गधे और घोड़े में अंतर करना आता था

पुलिस सेवा के दौरान उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। पुलिस विभाग में उन्होंने 36 वर्षों तक सेवाएं दी। मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर के अलावा रतलाम, छिंदवाड़ा और सागर सहित ग्वालियर संभाग में उन्होंने महत्वपूर्ण सेवाएं दी हैं। ग्वालियर संभाग की डकैत समस्या से निपटने के लिए उन्होंने सरकार से बिना कोई अतिरिक्त हथियार और सुविधाएं लिए, पुलिस टीम को मोटिवेट करके काफी महत्वपूर्ण सफलताएं अर्जित की थी। पत्रकार श्री उपदेश अवस्थी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि, डाकुओं का सफाई करने के लिए मैं कोई अतिरिक्त हथियार और सुविधा नहीं लूंगा बल्कि पुलिस फोर्स में मौजूद गधे और घोड़े में अंतर करूंगा। अपनी सेवा के दौरान उन्होंने ऐसा ही किया। अच्छा काम करने वाले पुलिस कर्मचारियों को प्रमोशन और संरक्षण दिया जिसके कारण कई बड़ी सफलताएं प्राप्त हुई। 

संजय माने - गृह नगर निपाणी में अंतिम संस्कार होगा

सोमवार रात उन्हें इंदौर में उनके निवास स्थान पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को शाम 6 बजे निपाणी प्रगतिनगर स्थित उनके निवास स्थान पर दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिसके बाद 7 बजे उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

समाचार का सारांश:

  • निपाणी के पहले आईपीएस अधिकारी संजय माने का निधन।
  • मौत का कारण दिल का दौरा।
  • अंतिम संस्कार बसवानगर में होगा।
  • दो बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित थे।
  • निपाणी के मलिकवाड गांव के रहने वाले थे।
  • 1989 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए थे।
  • मुंबई, भोपाल, मध्य प्रदेश, ग्वालियर, रतलाम, छिंदवाड़ा और सागर में सेवा की।
  • पिछले साल इंदौर से उप-पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

संजय माने की खास बातें:

  • वह कडक शिस्ती के लिए जाने जाते थे।
  • वह अपने क्षेत्र में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जाने जाते थे।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया था।
  • मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की थी जो ग्राउंड पर काम करने वाले सबसे छोटे पुलिस कर्मचारियों का संरक्षण करता था। 

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