Legal general knowledge and law study notes
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 268 में लोक न्यूसेंस अपराध की परिभाषा दी गई है अर्थात अगर किसी व्यक्ति, वस्तु द्वारा किसी जन साधारण या जनता के बड़े भाग को प्रभावित किया जा रहा है या सार्वजनिक क्षेत्र ,स्थान को प्रभावित किया जा रहा है, जिसके कारण जन साधारण को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुच सकती है, तब यह लोक न्यूसेंस का अपराध होगा।
धूम्रपान (Smoking) करना कब अपराध होता है जानिए
चिकित्सीय आधार पर यह पूर्णतः साबित हो गया है कि निष्क्रिय धूम्रपान करना जन स्वास्थ्य के उतना ही हानिकारक है जितना कि वास्तविक धूम्रपान है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केरल उच्च न्यायालय ने के. रामाकृष्णन बनाम केरल राज्य मामले में विनिशिचत किया है कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 269 एवं 278 के अंतर्गत एक दण्डनीय अपराध है।
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन भी
इसी मामले में न्यायालय ने कहा कि अस्पतालों शिक्षा संस्थानों, सिनेमा घरों, पार्क, बस स्टैंड, दुकानों, बैंकों, रेलगाड़ियों, रेल्वे स्टेशनों, आदि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है ,एवं सरकार को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 133 की उपधारा 01 (क) के अंतर्गत आदेश जारी करके सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए।
कुलमिलाकर कहे तो सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज जो सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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