मध्य प्रदेश सिविल जज्ब भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे LLB स्टूडेंट के लिए गुड न्यूज़ है। हाई कोर्ट की ओर से न्यूनतम योग्यता 70% के नियम पर राहत का आश्वासन मिला है। हालांकि यह आश्वासन केवल OBC- पिछड़ा वर्ग की उम्मीदवारों को मिला है।
मध्य प्रदेश सिविल जज्ब भर्ती परीक्षा - वर्षा पटेल की जनहित याचिका
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की सदस्य कुमारी वर्षा पटेल की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह द्वारा जनहित याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भर्ती नियम 1994 में दिनांक 23 जून 2023 को किए गए संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। इस याचिका की प्रथम सुनवाई दिनांक 23 नवंबर को तथा द्वितीय सुनवाई आज दिनांक 29 नवंबर को चीफ जस्टिस श्री रवि मालिमठ एवं जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई। सनी के दौरान चीफ जस्टिस द्वारा हाई कोर्ट को जवाब दाखिल करने के लिए एक और मौका दिया गया तथा अगली सुनवाई दिनांक 1 दिसंबर 2023 को नियत की गई है।
माननीय मुख्य न्यायमूर्ति महोदय ने ओबीसी को अनारक्षित वर्ग के समान योग्यता वाले प्रावधान को संशोधित किया जाकर एससी एसटी के समान मापदंड निर्धारित करने का आश्वासन दिया गया। रिजल्ट बनाने की प्रक्रिया, याचिका की अंतिम सुनवाई के समय कंसीडर की जाएगी। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने माननीय न्यायालय को बताया कि हाई कोर्ट द्वारा लंबे समय से अनारक्षित पदों को प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में केवल सामान्य अर्थात अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से ही भरे जाने की प्रक्रिया की जा रही है। जिसके कारण आरक्षित वर्ग की मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में अनारक्षित वर्ग में चयन से वंचित कर दिया जाता है तथा अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ, आरक्षित वर्ग के कट से काफी कम हो जाता है। इस प्रकार आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण का कानून अभिशाप बन जाता है।
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट विगत कई वर्षों से कम्युनल आरक्षण को लागू करता आ रहा है। उक्त आशय का जवाब इसी हाईकोर्ट में पूर्व की याचिकाओं में दाखिल किया जा चुका है। अधिवक्ता के उक्त तर्कों को गंभीरता से लेते हुए माननीय न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया कि अभी परीक्षा के आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया चल रही है, जबकि इस आधारभूत मुद्दे पर लार्जर बेंच का गठन करना पड़ सकता है। याचिका में हाई कोर्ट के अधिवक्ता को निर्देशित किया गया है कि दिनांक 1 दिसंबर के पूर्व याचिका में उठाए गए बुढो पर आवश्यक रूप से अपना जवाब दाखिल करेंगे।
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