मध्य प्रदेश की कटनी जिले में विधानसभा निर्वाचन कार्य के प्रशिक्षण के दौरान अनुमति के बिना अनुपस्थित रहना दस कर्मचारियों को महगा पड़ गया। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अवि प्रसाद श्री ने सभी दस कर्मचारियों के विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर इनके विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित कर सात दिवस के भीतर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। इसके बाद इन सभी कर्मियों का प्रकरण 20 वर्ष की सेवा और 50 वर्ष की उम्र के आधार पर कार्यवाही हेतु छानबीन समिति को भेजा जायेगा।
विभागीय जांच वाले कर्मी
कलेक्टर श्री प्रसाद ने वर्ष 2018 से बिना सूचना के अनुपस्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कन्हवारा में पदस्थ अध्यापक अजीत कुमार एक्का और 25 दिसम्बर 2021 से शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैलवारा कला में अपने पदीय कार्य से अनुपस्थित माध्यमिक शिक्षक पूजा सिंह और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलहरी में पदस्थ भृत्य मनोज कुमार शर्मा अनाधिकृत रूप से बिना किसी अनुमति के लंबे समय से अनुपस्थित है। इन सभी के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित करने पत्र लिखा जा चुका है।
इसके अलावा महिला एवं बाल विकास में कार्यरत भृत्य उमेश राज अहिरवार पिछले दो वर्षो से बिना सूचना के गायब है। इनकी विभागीय जांच जारी है। वहीं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एन.के.जे कटनी के भृत्य दुर्गा प्रसाद बर्मन जुलाई 2022 से लगातार अनुपस्थित है। जबकि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एन.के.जे संकुल प्राचार्य द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्राथमिक शिक्षक रतन लाल प्रजापति दिसंबर 2021 से गायब है। साथ ही शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वेंकट वार्ड स्कूल से अध्यापक शहनाज खान 14 जुलाई 2022 से अनुपस्थित है।
इसी प्रकार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के भृत्य विनोद राजपूत 10 माह से गायब है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उमरियापान के माध्यमिक शिक्षक नागेन्द्र सिंह दो मार्च 2023 से लगातार अनुपस्थित है और महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक स्वार्णिल भलावी 18 फरवरी 2022 से चिकित्सा अवकाश पर तथा जून 2023 से बिना आवेदन सूचना के गायब है। कलेक्टर श्री प्रसाद ने इन सभी 10 कर्मियों के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित करने निर्देशित किया है।
फॉर्मूला 20-50 के तहत होगी कार्यवाही
कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा इन सभी 10 कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय जांच की कार्यवाही हेतु लिखे पत्र के बाद इन सभी के अभिलेखों की जांच और समीक्षा की जायेगी। इसके बाद 50 वर्ष की आयु और 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले शासकीय सेवकों के लिए मूलभूत नियम एवं मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम के तहत छानबीन कर अनिवार्य सेवानिवृत्त हेतु राज्य शासन द्वारा गठित समिति के समक्ष प्रस्ताव भेजा जायेगा।
मापदण्ड
20 वर्ष की सेवा और 50 वर्ष की आयु के अनिवार्य सेवा निवृत्त के लिए निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा संदेहजनक होना, शारीरिक क्षमता में कमी और शासकीय सेवक के सेवाकाल के संपूर्ण अभिलेखों के परीक्षण के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है। राज्य शासन के निर्देशानुसार निर्धारित मापदण्डों में से सभी मापदण्डों की पूर्ति होना आवश्यक नही है। बल्कि किसी भी एक मापदण्ड के आधार पर लोकहित में शासकीय सेवक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का प्रावधान है।
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