मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक एवं सीहोर जिले के बांद्राभान क्षेत्र में आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन 90000 लोगों ने सूर्योदय के पहले पुण्य सलिला नर्मदा नदी में स्नान किया। 1 लाख से अधिक लोग 26 नवंबर की रात्रि में ही यहां पर आ गए थे। सारी रात श्रद्धालुओं का आगमन चलता रहा। सूर्योदय के बाद भी श्रद्धालुओं का आगमन एवं नर्मदा स्नान निरंतर जारी है।
नर्मदा और तवा नदी का संगम स्थल बांद्राभान
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सूर्योदय के पूर्व स्नान का विशेष महत्व है। वैष्णव संप्रदाय के धार्मिक ग्रंथो में लिखा है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के पहले नर्मदा, गंगा, कावेरी, सरयू आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है। नर्मदा और तवा नदी के संगम स्थल बांद्राभान पर आयोजित मेले में सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान चल रहा है। बांद्राभान में चार दिवसीय कार्तिक मेला चल रहा है। यह 25 नवंबर को शुरू हुआ था, 28 नवंबर तक रहेगा। मेले में 500 से ज्यादा दुकानें लगी हैं। इस मेले में मध्य प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों के कई नागरिक भी आते हैं।
कार्तिक मेला क्या होता है, क्यों लगाते हैं
वैष्णव संप्रदाय के शास्त्रों में कार्तिक मेले का आयोजन अनिवार्य बताया गया है। दरअसल, भारतवर्ष में कार्तिक के महीने से मौसम बदल जाता है। प्रकृति का संचालन भगवान श्री हरि विष्णु के पास वापस आ जाता है। सर्दी का मौसम शुरू होता है। कार्तिक मेले में इस परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं का प्रदर्शन एवं बिक्री की जाती है। जब कार्तिक मेले की परंपरा का प्रारंभ किया गया था तब नगरों में बाजार नहीं होते थे। अवसर विशेष पर मेल लगाकर लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती थी।
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