मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री अनुपम राजन ने बालाघाट में कर्मचारियों के वोटो में हुई कथित गड़बड़ी के मामले में कलेक्टर डॉ गिरीश मिश्रा को क्लिनिक दे दी है। श्री राजेंद्र स्वीकार किया कि मत पत्रों की शार्टिंग का काम जो दिनांक 2 दिसंबर को किया जाना था वह बालाघाट में 27 नवंबर को किया गया परंतु इसके लिए कलेक्टर नहीं बल्कि नोडल अधिकारी जिम्मेदार हैं।
MP CEO अनुपम राजन का बयान पढ़िए
बुधवार दिनांक 29 नवंबर 2023 को राजधानी भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री अनुपम राजन ने कुछ पत्रकारों को बुलाकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बालाघाट में पोस्ट वॉलेट को खोल करके विधानसभा वार्ड छटनी का काम किया गया है। मत पत्रों की गिनती नहीं की गई है। श्री राजन ने कहा कि बालाघाट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के वोटो की शार्टिंग का काम दिनांक 2 दिसंबर को किया जाना है परंतु बालाघाट में 27 नवंबर को किया गया। श्री राजन ने कहा कि यह गलत बात है और इसके लिए नोडल अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है परंतु कलेक्टर जिम्मेदार नहीं है।
चुनाव आयोग के फैसले के पहले बालाघाट कलेक्टर को क्लीन चिट क्यों
इस मामले में भारत के निर्वाचन आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री अनुपम राजन ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट भेज दी है, चुनाव आयोग ने अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया है परंतु उससे पहले ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री अनुपम राजन ने बालाघाट कलेक्टर को क्लीन चिट दे दी। प्रश्न तो बनता है कि इतनी जल्दबाजी क्या थी। बयान में सिर्फ इतना भी कह सकते थे कि हमने अपनी रिपोर्ट भेज दी है और आयोग के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इस मामले को शुरू से गंभीरता से नहीं लिया
कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं चुनाव आयोग के कार्यों के प्रभारी श्री जेपी धनोपिया ने शिकायत में लिखा है कि, 3 दिसम्बर को मतगणना होना नियत है, लेकिन कलेक्टर बालाघाट द्वारा 27 नवम्बर को ही बालाघाट जिले की समस्त विधानसभाओं के पोस्टल वोट, जो कि स्ट्रांग रूम में रखे हुये थे के साथ छेड़छाड़ की गई। कलेक्टर के निर्देश पर किया गया उक्त कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। उक्त कार्य की शिकायत प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा निर्वाचन पदाधिकारी राजन अनुपम के समक्ष व्यक्तिगत रूप से की गई, लेकिन लेकिन शिकायत उपरांत उनके द्वारा उपरोक्त गंभीर मामले पर बहुत ही हल्केपन से कार्यवाही की गई और मात्र नोडल अधिकारी को निलंबित किया गया तथा कलेक्टर जो कि सभी गतिविधियों के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होने के बावजूद उन्हें बचाने का कार्य किया जा रहा है। यहां तक कि कलेक्टर के विरूद्ध की गई शिकायत के बावजूद उन्हीं कलेक्टर महोदय को जांच देकर सिद्ध कर दिया कि पोस्टल वोट्स के साथ हुई छेडछाड को गंभीरता से नही लिया गया है।
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