हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच ने मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय पर ₹50000 का जुर्माना लगाया है। दोनों अधिकारियों को शिक्षक का प्रमोशन रोकने का दोषी पाया गया है। ज्यादातर मामलों में पीड़ित को राहत दी जाती है परंतु इस मामले में आरोपियों को दंडित भी किया गया है।
शासकीय शिक्षक के प्रमोशन विवाद पर इंदौर हाई कोर्ट का फैसला
याचिकाकर्ता श्री राधेश्याम रैकवार, मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक हैं एवं आगर मालवा जिले में बदलते हैं। उनकी याचिका के अनुसार उन्हें सन 2008 में प्रमोशन मिलना चाहिए था। सन 2009 में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रमोशन के लिए काउंसलिंग भी की गई लेकिन शिक्षकों की प्रमोशन लिस्ट में श्री राधेश्याम रैकवार का नाम नहीं था। इस गलती को सुधारने के लिए उन्होंने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया परंतु कमिश्नर डीपीआई द्वारा अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया गया। सन 2009 से लेकर 2017 तक शासकीय कर्मचारी श्री राधेश्याम रैकवार ने जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय तक सबसे न्याय की मांग की परंतु जब कोई राहत नहीं मिली तो पीड़ित होकर सन 2017 में उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका प्रस्तुत की।
MP NEWS - कर्मचारियों को प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों को हाईकोर्ट ने दंडित किया
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबी लड़ाई के बाद इंदौर हाई कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस विवेक रूसिया ने इस मामले में फैसला सुनाया। न्यायाधीश महोदय ने इस मामले में विवाह की गलती नहीं बल्कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को अधीनस्थ शासकीय कर्मचारी का प्रमोशन रोकने का दोषी पाया। दंड स्वरूप प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग (श्रीमती रश्मि अरुण शमी IAS) एवं आयुक्त लोक शिक्षण संचनालय (श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव IAS) पर रुपए का जुर्माना लगाया है। माननीय उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय को आदेशित किया है कि सन 1 अप्रैल सन 2009 से लेकर 14 जुलाई 2022 के बीच एरिया की राशि और प्रथम एवं द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ प्रदान किया जाए।
राधेश्याम की तरह 800 से ज्यादा शिक्षक परेशान हो रहे हैं
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय में 800 से ज्यादा शिक्षकों के मामले लगभग इसी प्रकार के हैं। वह अपने प्रमोशन के लिए परेशान हो रहे हैं और स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय एवं लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा उनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया जा रहा है।
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