मध्य प्रदेश में ओबीसी को शिक्षक भर्ती मे 27% आरक्षण लागू किए जाने को लेकर जबलपुर स्थित हाईकोर्ट मे शांतिलाल जोशी एवं अन्य द्वारा अवमानना याचिका क्रमांक CONC/2129/2021 मध्य प्रदेश के उच्च अधिकारियों के विरुद्ध दाखिल की गई थी, उक्त याचिका मे डीपीआई कमिश्नर श्री अभय वर्मा की ओर से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर उपस्थित हुए। आज दिनांक 23/11/23 को चीफ जस्टिस श्री रवि मालिमठ एवं जस्टिस श्री विशाल मिश्रा के खंड पीठ को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस हाईकोर्ट मे ओबीसी के 27% आरक्षण से संबंधित सैकड़ो मामले लंबित हैं, तथा हाईकोर्ट द्वारा आज दिनांक तक विधायिका/ विधानसभा के कानून को स्टे नहीं किया गया और न ही हाईकोर्ट को उक्त कानून स्टे करने का संवैधानिक अधिकार है। जब तक कि उक्त कानून की संवैधानिकता पर हाईकोर्ट कोई अंतिम निर्णय नहीं कर देती।
मध्य प्रदेश मे ओबीसी के 27% आरक्षण का कानून विधानसभा से दिनांक 14/7/2019 को पास किया गया है जिसके विरोध मे तथा पक्ष मे एक सैकड़ा से अधिक याचिकाए विचाराधीन हैं, उक्त याचिकाओं मे हाई कोर्ट द्वारा दिनांक 31.01.2020 को अंतरिम आदेश पारित कर हाईकोर्ट द्वारा भर्तियों को विज्ञापन अनुसार प्रक्रिया संपन्न किए जाने का शासन को निर्देश दिए गए थे तथा बिना अनुमति के नियुक्तिपत्र जारी नहीं किए जाने का भी आदेश दिया गया था, तत्पश्चात शिक्षक भर्तियों मे ओबीसी के आरक्षण को अनेक याचिकाओं मे चुनौती दीं गई जिनकी सुनवाई तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्याधीश संजय यादव एवं विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ दिनांक 20/7/2020 को दिनांक 31/01/2020 के अंतरिम आदेश को समानता के आधार पर शिक्षक भर्ती मे भी लागू कर दिया गया था, तत्पश्चात मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 14% आरक्षण लागू करने एवं की गई समस्त भर्तियों मे नियुक्ति आदेश जारी किए जाने का हाईकोर्ट मे 29 मई 2021 को शपथ पत्र दाखिल किया गया जिस पर हाईकोर्ट ने दिनांक 13/7/2021 को अंतरिम आदेश जारी करके उक्त आदेश दिनांक 31.1.20 तथा 20.7.20 को मॉडिफाई कर दिया गया था तथा समस्त भर्तियों मे नियुक्ति आदेश जारी किए जाने की अनुमति प्रदान की गई थी, तब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अक्टूबर 2021 से अगस्त 2023 तक समस्त शिक्षकों की भर्तियां प्रक्रिया संपन्न की गई है।
अतः याचिकाकर्ताओ द्वारा दाखिल अवमानना याचिका सारहीन तथा विधिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है जिसे ख़ारिज किया जाए तथा की गई नियुक्तियों को विधिक घोषित किया जाए। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के उक्त तर्कों से सहमत होते हुए याचिका ख़ारिज कर दीं गई तथा शिक्षकों की, की गई समस्त भर्तियों को उचित करार दिया गया। याचिकाकर्ताओ की ओर से पैरवी आदित्य संघी ने की तथा अनावेदको की ओर से पैरवी विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने की।
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