मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में डिवीजन बेंच क्रमांक 2 ने आज ओबीसी आरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई के आदेश जारी कर दिए। इससे पहले मामलों की सुनवाई के लिए उन्हें सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा था। इसके चलते माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई थी।
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार मामलों को सूचीबद्ध नहीं कर रहे थे
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा बताया गया कि, जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की डिवीजन बेंच क्रमांक 2 के आदेश की अवहेलना किए जाने पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल श्री रामकुमार चौबे, रजिस्ट्रार न्यायिक दो श्री संदीप शर्मा, प्रिंसिपल रजिस्ट्रार जुडिशल श्री हेमंत जोशी के विरुद्ध श्री बृजेश कुमार शहवाल ने हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना याचिका क्रमांक CONC/5594/2023 दाखिल की गई थी।
याचिका में उपरोक्त सभी रजिस्ट्रार पर आरोप लगाया गया है कि माननीय डिवीजन बेंच के ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों में दिनांक 4 अगस्त 2023 को स्पष्ट आदेश पारित किया गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च 2022 में हाई कोर्ट को ओबीसी आरक्षण के मामलों की त्वरित सुनवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसलिए उक्त समस्त मामलों की सुनवाई 4 सितंबर 2023 को नियत की गई थी लेकिन हाई कोर्ट के उपरोक्त सभी रजिस्ट्रार द्वारा आज दिनांक तक ओबीसी आरक्षण के मामलों को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इस आधार पर उपरोक्त सभी रजिस्ट्रार गण न्यायालय के आदेश की अवहेलना के दोषी हैं।
अवमानना याचिका की आज 3 नवंबर 2023 को चीफ जस्टिस श्री रवि माली मठ तथा जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई। तर्क दिया गया की मूल प्रकरण में रजिस्ट्रार पक्षकार नहीं है। इस आशय का रजिस्ट्री द्वारा अवमानना याचिका में डिफॉल्ट परिलक्षित किया गया है, जबकि अवमानना के कानून में स्पष्ट है कि माननीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने वाले प्राधिकारी का याचिका में पक्षकार होना या ना होना आवश्यक नहीं है। न्यायालय को सिर्फ यह देखना है कि आदेश का पालन करने की जिम्मेदारी किसी प्राधिकारी की थी और यदि रजिस्ट्री द्वारा हाइलाइट डिफॉल्ट पर गौर किया जाता है तो हाई कोर्ट में दाखिल किए जाने वाले प्रत्येक प्रकरण में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाना आवश्यक हो जाएगा। अतः उक्त डिफॉल्ट सारहीन है जिसे ओवर रूल किया जाकर अवमानना याचिका की मेरिट पर सुनवाई की जाए।
तब न्यायालय ने आदेशित किया कि उक्त डिफॉल्ट रिमूव करके अगली सुनवाई हेतु प्रकरण को सूचीबद्ध किया जाए। न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, उदय कुमार साहू ने पक्ष रखा। शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल उपस्थित हुए।
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