भोपाल समाचार की खबर का असर - वन विहार से शूटिंग का सेट हटाया, लेकिन विरोध जारी - MP NEWS

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क को राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह और शहर के वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट ने किराए की दुकान बनने से बचा लिया। वन विहार में लगाया गया शूटिंग का सेट हटा दिया गया है। इस मामले को सबसे पहले भोपाल समाचार डॉट कॉम ने उठाया था। 

संवेदनशील भोपाल एकजुट हो गया था

वन विहार में रविवार को सरेआम छतघर के पास शूटिंग का सेट लगाया जा रहा था। बड़ा सा जनरेटर रख दिया गया था। जिस वन विहार में वहां का हॉर्न बजाना प्रतिबंधित है वहां पर रिलायंस कंपनी की एक वेब सीरीज पान गरदा और परदा की शूटिंग का शोर शराबा शुरू हो गया था। राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने सबसे पहले इसे देखा और ट्विटर पर सबको जानकारी दी। सुबह के समय जब वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट ने पदम प्रिया बाला कृष्णन, डायरेक्टर वन विहार से बात की तो उन्होंने इस शूटिंग को कानून के दायरे में बताया और कोई भी एक्शन लेने से मना कर दिया लेकिन जब भोपाल समाचार डॉट कॉम मामले को उठाया और सबको इसके बारे में पता चला तो विरोध बढ़ने लगा। वन्य प्राणी प्रेमियों ने इसकी शिकायत वाइल्डलाइफ हेडक्वार्टर, NTCA और केंद्रीय चिड़ियाघर में कर दी। 

डायरेक्टर वन विहार का यू टर्न 

पदम प्रिया बाला कृष्णन, डायरेक्टर वन विहार ने सुबह जनरेटर एवं सेट लगाए जाने की गतिविधि को कानून के दायरे में बताया था परंतु जब बात बढ़ गई तो, बयान बदल गया। शाम को बताया कि, वन विहार पार्क में वेब सीरीज पान गरदा और परदा की शूटिंग हाे रही है। इसकी अनुमति शासन ने दी है। हमने यहां पर भव्य सेट लगाने से मना किया है। सेट केवल विहार विथिका में लगा सकते हैं और कहीं नहीं। जबकि क्रू मेंबर छत घर के पास सेट लगा रहे थे। 

विरोध अभी भी जारी, वन विहार के शत्रु अधिकारी का नाम बताओ

भोपाल की प्रकृति को बचाने के लिए संघर्ष करने वाले अभी भी विरोध कर रहे हैं। डायरेक्टर वन विहार, पदम प्रिया बालाकृष्णन ने अपने बयान में कहा है कि शासन ने इसकी अनुमति दी थी। लोगों का कहना है कि इतना पर्याप्त नहीं है वन विहार के शत्रु अधिकारी के नाम का खुलासा करें। उसके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दूसरा अधिकारी वन विहार के वन्य प्राणियों को डिस्टर्ब करने की हिम्मत ना कर पाए। 

कानून क्या कहता है 

वन्य प्राणी, वृक्ष एवं जंगल की जमीन बचाने के लिए कई कानून है लेकिन सबका संयुक्त आशय सिर्फ एक है कि जंगल के स्वामी बने प्राणी है और उन्हें किसी भी प्रकार से परेशान नहीं कर सकते। कोई भी अधिकारी ऐसी कोई अनुमति नहीं दे सकता जो वन्य प्राणियों की शांति में खलल डालती हो। 

 पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें  ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें। ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!