राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने मध्य प्रदेश से उसकी एक होनहार महिला अधिकारी छीन ली। राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी, पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को लास्ट मिनट पर टिकट देने से इनकार कर दिया गया और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री का पद देकर, पार्टी के काम पर लगा दिया गया।
निशा बांगरे ने चुनाव लड़ने के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में यह पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने चुनाव लड़ने के लिए किस प्रकार का ऐतिहासिक संघर्ष किया और राज्य प्रशासनिक सेवा की एक सफल महिला अधिकारी को राजनीति में क्या मिला। पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपना इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए लगभग 400 किलोमीटर की पदयात्रा की। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाए। जब इस्तीफा मंजूर हो गया तो कांग्रेस पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया।
शासन ने अनुमति नहीं दी थी तो इस्तीफा दे दिया था, अब क्या...
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने संतान पालन अवकाश लेकर बैतूल जिले के आमला विधानसभा क्षेत्र में अपना घर बनवाया। अंडर कंस्ट्रक्शन घर में गृह प्रवेश का कार्यक्रम आयोजित किया। गृह प्रवेश के कार्यक्रम में सर्वधर्म सम्मेलन आयोजित किया। शासन ने जब इसकी अनुमति नहीं दी तो अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए निशा ने तत्काल इस्तीफा दे दिया। अब जब कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया, कमलनाथ ने निशा के साथ धोखा किया, अब क्या। आत्मसम्मान कहां गया।
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