चिदानंद पारीक सहित 13 प्राथमिक शिक्षकों द्वारा, दायर याचिका में हाई कोर्ट जबलपुर ने स्कूल शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण, भोपाल, को नोटिस जारी जवाब तलब किया है। मामला इस प्रकार है कि, चिदानंद पारीक एवम अन्य ने वर्ष 2020 में, प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की थी।
निर्देश दिनांक 27/10/22 के अनुपालन में, जनजातीय कार्य विभाग एवम स्कूल शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त पदों हेतु काउंसलिंग/ चयन प्रक्रिया आयोजित की गई। चयन प्रक्रिया को शासित करने वाले निर्देशों के अनुसार, पोर्टल पर उपलब्ध रिक्तियों के आधार पर याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को शाला चयन, चॉइस फिलिंग करनी थी। याचिका कर्ता काउंसलिंग के निर्देशानुसार, स्कूल शिक्षा एवम आदिवासी विकास की शालाओं में किसी भी शाला का चयन कर सकते थे। विभाग एवम शाला का आवंटन मेरिट के आधार पर होना था। सभी 13 याचिका कर्ताओं ने, 50 से अधिक स्कूल शिक्षा की शालाओं का विकल्प भरा था। परंतु, मनमाने तरीके से, सभी याचिकाकर्ताओं की पोस्टिंग ट्राईबल डिपार्मेंट में कर दी गई। वहीं दूसरी ओर रैंक में नीचे एवम कम अंक प्राप्त उम्मीदवारों को उनके विकल्प के अनुसार विभाग आवंटन किया गया।
सभी 13 उम्मीदवारों की ओर से उच्च न्यायालय जबलपुर में पैरवी करते हुए, अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि एक ओर विभाग आवंटन करते समय स्कूल शिक्षा विभाग ने वादियों की वरिष्ठता का अतिक्रमण किया एवम जूनियर्स को उनके विकल्प के अनुसार, स्कूल अलॉट की। वही दूसरी ओर, 7500 रिक्त पदों पर, मई माह में काउसलिंग आयोजित कर रैंक में नीचे स्थापित उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग अलॉट किया। उल्लेखनीय है कि रिक्त पदों का विज्ञापन उस समय भी अस्तित्व में था जब याचिका कर्ताओं की पोस्टिंग हेतु काउंसलिंग की जा रही थी।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि इस प्रकार की फोर्सफुल पोस्टिंग क्यो की गई जबकि स्कूल शिक्षा में प्राथमिक शिक्षक के पद रिक्त थे। स्कूल शिक्षा को हलफनामा दायर करने, हेतु चार सप्ताह का समय दिया गया है।
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