Legal general knowledge and law study notes
जब न्यायालय में कोई न्यायिक कार्यवाही चल रही हो तब कोई पक्षकार या अन्य व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आदेश की अवहेलना करता है,पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने से इंकार करता है, शांति भंग करता है, न्यायालय में शोर शराबा करता है या जानबूझकर कर कोई बाधा उत्पन्न करता है तब उस व्यक्ति पर क्या कार्यवाही होगी जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 228 की परिभाषा
जब कोई लोक सेवक उस समय न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में बैठा हुआ है और कोई व्यक्ति जानबूझकर उसका अपमान करेगा, उसके कार्य में कोई विघ्न डालेगा, उससे अभद्र व्यवहार करेगा वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 228 के अंतर्गत दोषी होगा।
विशेष नोट:- दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 1932 की धारा 10 की उपधारा 03 के अंतर्गत राज्य सरकार को अधिकार है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 228 को किसी विशेष क्षेत्र मे संज्ञेय अपराध घोषित कर सकती है।
Indian Penal Code, 1860 section 228 Punishment
इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इस अपराध के लिए वहीं न्यायालय दण्ड देगा जिस न्यायालय में व्यक्ति ने विघ्न डाला है, सजारू- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम छ: माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
{इस अपराध के दण्ड की प्रक्रिया दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 345 में की गई है}
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