मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता कल्याण संघ का श्वेत पत्र - MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल
। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता कल्याण संघ पिछडे वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर काम करने वाला प्रदेश के अधिवक्ताओं का प्रतिनिधि संगठन है। हमारा संगठन ओबीसी को संविधान सम्मत हक दिलाने तथा उन पर जुल्म रोकने, जागृति लाने और कानूनी संबल प्रदान करने का काम करता हैं। यह वर्ग प्रदेश की आधी आबादी से ज्यादा बड़े वर्ग के लिए काम कर रहा है। यह किसी राजनीतिक दल की तरफदारी नहीं करता है किंतु ओबीसी को लेकर मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करना अपना कर्तव्य समझता है। यह संगठन वक्तव्य जारी करता है कि मध्य प्रदेश की वर्तमान शिवराज सरकार ने ओबीसी के हितों की लगातार उपेक्षा की है। लाखों युवाओं, बेरोजगारों का भविष्य चौपट कर दिया है। विगत 20 वर्ष के कार्यकाल में ओबीसी के हितों की लगातार उपेक्षा की गई है। 

2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27% किया था 

अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि, 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ की गई अपील पर इसके बाद आई भाजपा सरकार ने विधिवत पैरवी नहीं की, जिससे कोर्ट ने 2014 में 27% आरक्षण निरस्त कर दिया। 2014 से 2018 तक भाजपा सरकार ने इस 14% आरक्षण को ही स्थिर रखा। हाईकोर्ट में निरस्त हुए इस अपील प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट में अपील तक नहीं की और न ही दोबारा आरक्षण को बढ़ाने का कोई प्रयास किया। 2018 में कांग्रेस पार्टी की सरकार आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पुनः ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27% किया। 15 माह बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई, उसके बाद ओबीसी के बढ़े हुए आरक्षण के संदर्भ में तरह-तरह के संदेह और भ्रम भाजपा सरकार के कार्यकाल में फैलाए। आज की स्थिति में भी 27 प्रतिशत आरक्षण का क्रियान्वयन नहीं हो रहा, जिससे दुखित होकर हम लोग भाजपा सरकार के ओबीसी विरोधी कुछ तथ्य सामने लाने के लिए विवश हुए हैं। ताकि जो वर्ग लगातार आंख मूंद कर इस भाजपा सरकार का समर्थन करता रहा है उसे अपने हक और हितों के बारे में पता चल सके और सरकार की नाकारा कारगुजारियों की जानकारी मिल सके। हम ओबीसी के आरक्षण, उनके हक-हितों के बारे में सरकार द्वारा जानबूझकर की गई  उपेक्षा के कुछ बिंदु आपके सामने रख रहे हैं- 

1. ओबीसी को 27% आरक्षण के लाभ से वंचित किया गया: मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने ओबीसी का विधिवत कानून बनाकर दिनांक 8/3/2019 से 27% आरक्षण लागू किया गया। उक्त आरक्षण की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका क्रमांक WP/5901/2019 में हाईकोर्ट द्वारा पी॰जी॰ नीट प्रवेश में 27% आरक्षण न देने का अन्तरिम आदेश पारित कर दिया गया। उक्त अन्तरिम आदेश को भाजपा सरकार ने सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में की जाने वाली नियुक्तियों तथा प्रवेश परीक्षाओं में भी लागू कर दिया गया। 

2. भाजपा सरकार ने नियुक्त विशेष अधिवक्ताओं का नही किया सहयोग: 

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुक्रम में मध्य प्रदेश शासन को विशेष अधिवक्ताओ द्वारा ओबीसी का 27% आरक्षण हाईकोर्ट मे जस्टिफ़ाई करने हेतु अनेक बार पत्र लिखकर निर्धारित प्ररूपों मे जानकारी चाही गई जो आज दिनांक तक नही दी गई, न ही विशेष अधिवक्ताओ को न्यायालय मे ओबीसी का समुचित पक्ष रखने हेतु शासकीय प्रोटोकाल दिया गया न ही उक्त अधिवक्ताओ को एजी आफिस मे बैठने का स्थान दिया गया। 

3. ओबीसी आरक्षण को भाजपा सरकार ने बनाया अभिशाप-

भाजपा सरकार ने आज दिनांक तक लोक सेवा आयोग की भर्ती प्रक्रिया 2019, 2020, 2021 तथा 2022 सम्पन्न नहीं की है। यही नहीं 87% तथा 13% के अवैधानिक फार्मूले पर सम्पूर्ण भर्तियों को न्यायिक प्रक्रिया मे उलझाया गया है। जबकि हाईकोर्ट ने उक्त फार्मूले के सबंध में कोई अन्तरिम आदेश पारित नही किया है। ओबीसी एवं समान्य वर्ग के लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में शामिल लगभग 25 लाख से अधिक युवाओं तथा उनके परिवार की उमीदों पर पानी फेरा गया है। 

4. 13% ओबीसी 13% सामान्य वर्ग के साथ घोर अन्याय-

भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में सभी भर्तियों को विवादित कर दिया। पीएससी तथा व्यापमं द्वारा की जाने वाली भर्तियों में प्रकाशित विज्ञापन के विरूद्ध किया गया। ओबीसी के तथा सामान्य वर्ग के 26% पदों को नियम विरूद्ध होल्ड किया गया है, जिससे पीएससी 2019 से 2022 की परीक्षाओं मेंं शामिल 7 लाख से अधिक युवाओं का भविष्य बर्बाद हुआ। व्यापमं द्वारा आयोजित कांस्टेबल/शिक्षक वर्ग I,II,III/पटवारी चयन /सब इंजीनियर की भर्तियों में व्यापक पैमाने पर नियम विरूद्ध भर्तियों पर हाईकोर्ट ने अन्तरिम आदेश पारित किए हैं। 

5. कानून में संविधान विरोधी संशोधन-

दिनांक 23/5/23 को भाजपा सरकार ने न्यायिक सेवा नियम 1994 में संविधान विरोधी संशोधन करके ओबीसी का आरक्षण समाप्त कर दिया। ओबीसी वर्ग के लिए समस्त अर्हताएं सामान्य/अनारक्षित वर्ग के समान निर्धारित कर दी गईं। 

6. (ओबीसी विरोधी कार्य) असंवैधानिक नियमों को लागू करके ओबीसी वर्ग  के सैकड़ो अभ्यर्थियों को चयन से वंचित करना-
मध्य प्रदेश जिला न्यायालयों के सहायक ग्रेड तीन तथा स्टेनो के 1255 पदो की भर्तियों में असंवैधानिक रूप से केट ऑफ अंकों की लिस्ट जारी की गई । जिसमें सामान्य वर्ग के कट ऑफ 74 अंक तथा ओबीसी की 88 अंक नियत किए गए। इससे ओबीसी वर्ग के 74 अंक से 87 अंक प्राप्त करने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए। यह ओबीसी के विरुद्ध एक षडयंत्र है। 

7. शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों मे भाई-भतीजावाद-

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, जिला न्यायालयों समेत निगम मंडलों मे शासन की ओर से पक्ष रखने हेतु नियुक्त हजारों शासकीय अधिवक्ताओं की नियम विरूद्ध नियुक्तियां की गई हैं। इनमें अधिकांश जाति विशेष के महाधिवक्ता महोदय के रिश्तेदारों को नियुक्ति दी गईं। कई शासकीय अधिवक्ता उत्तर प्रदेश राज्य के हैं, जिनको शासकीय अधिवक्ता के बड़े पदों से नवाजा गया। 

8. भर्तियों में ओबीसी आरक्षण की स्थिति-

कांग्रेस सरकार द्वारा 2018 से फरवरी 2020 के दरम्यान लगभग 39 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की गयी थी। जिसके विज्ञापन में ओबीसी को 27% आरक्षण दिए जाने का स्पष्ट उल्लेख था। लेकिन उक्त भर्ती पर वर्तमान सरकार के पेरोकारों ने हाईकोर्ट मे समुचित पक्ष नहीं रखा, इससे हाईकोर्ट ने दिनांक 20/7/2020 को अन्तरिम आदेश पारित करके शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को निर्णय अधीन कर दिया। 

9. गलत अभीमत को आधार मानकर ओबीसी वर्ग को ठगा भाजापा ने- 

तत्कालीन महाधिवक्ता ने दिनांक 16.8.2020 को समस्त विभागों मे एक अभिमत देकर दिनांक 19/3/2019 के अन्तरिम आदेश का हवाला देकर, OBC को समस्त भर्तीयो में 14% से ज्यादा आरक्षण नही दिए जाने का विधिक अभिमत दिया गया।  सम्पूर्ण मध्य प्रदेश मे यह भ्रम फैलाया गया कि कांग्रेस सरकार के समय OBC का 27% आरक्षण स्टे हो चुका है ।  महाधिवक्ता के उक्त अभिमत का सम्पूर्ण प्रदेश में OBC द्वारा व्यापक पैमाने पर विरोध हुआ।

10. विपक्षी पार्टी कांग्रेस का विधान सभा मे ओबीसी आरक्षण लागू नही किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन- 

जब नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व मे सभी कांग्रेस के माननीय विधायकगणों द्वारा काले एप्रिन पहनकर विधानसभा में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं करने का ऐतिहासिक विरोध किया गया था। तब मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह द्वारा पिछड़े वर्ग के समस्त संगठनों  के साथ चर्चा की गई। बैठक मे हम लोगों द्वारा स्पष्ट रूप से दिनांक 8/3/2019 से OBC आरक्षण के हाईकोर्ट मे चल रहे समस्त प्रकरणो मे पारित अन्तरिम आदेशोंं का अध्ययन करके बताया गया कि कांग्रेस के समय OBC आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक नही थी। बल्कि महाधिवक्ता महोदय ने गलत अभिमत देकर ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू नहीं करने दिया। हम लोगों की इस बात को गंभीरता से लेकर मुख्यमंत्री ने महाधिवक्ता को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि ओबीसी के आरक्षण के 27% के मुद्दे तथा स्टे की गई नियुक्तियों का मामला अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह की सलाह लेकर हल किए जाए। 

11. कांग्रेस द्वारा न्यायिक लड़ाई में सहयोग- 

कांग्रेस ने माननीय कमलेश्वर पटेल जी के अनुरोध पर ओबीसी के प्रकरणो मे पैरवी हेतु सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता इंद्रा जय सिंह को उपलब्ध कराया गया। जो चार बार ओबीसी के प्रकरणों में पैरवी हेतु उपस्थित भी हुईं, लेकिन महाधिवक्ता महोदय द्वारा उक्त प्रकरणों को 15 बार टाला गया। यह भी केवल इसलिए कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता श्री तुषार मेहता को एंगेज किया जा सके। इस हेतु हाईकोर्ट में बार-बार समय लिया गया।

12. कांग्रेस सरकार की जारी की गई भर्ती प्रक्रिया भाजपा सरकार ने रोकी- 

हम दोनों (अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह) ने ओबीसी के प्रकरणों में शासन की ओर से विशेष अधिवक्ता के तौर पर ओबीसी के प्रकरणो मे पैरवी करना आरंभ किया। विगत दो वर्षों से रुकी शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित हाईकोर्ट से दिनांक 13/7/2021 को पारित अंतरिम आदेश दिनांक 20/7/2020 को मॉडिफाई कराकर भर्ती प्रक्रिया आरंभ कराई। 16 विषयों में से पाँच विषयों में 14% तथा 9 विषयों मे 27% के न से उच्च शिक्षकों की नियुक्ति आरंभ कराई गई।

13. ओबीसी विरोधी भाजपा सरकार का कृत्य -

वर्तमान महाधिवक्ता द्वारा शासन को गलत तथा ओबीसी विरोधी अभिमत देकर मात्र 87% पदो पर ही भर्तियां की जा रही है तथा 13% ओबीसी के तथा 13% अनारक्षित वर्ग के पदों को होल्ड कर दिया गया है। जिसके कारण पीएससी 2019, 2020, 2021 तथा 2022, पटवारी चयन, आरक्षक चयन, प्राथमिक शिक्षकों के 30 हजार पदों सहित असिस्टेंट इंजीनियर, आईटीआई, असिस्टेंट प्रोफेसरों सहित कई भर्तियोंं मे लाखों ओबीसी अभ्यर्थियों को चयन से वंचित कर दिया गया।

14. कांग्रेस सरकार का ऐतिहासिक कदम-

कांग्रेस सरकार ने आरक्षण प्रकरणों में विस्तृत जवाब दाखिल कराकर मध्य प्रदेश में ओबीसी की 50.09% आवादी का डेटा जो की 2011 की जातिगत जनगणना पर आधारित था प्रकाशित किया जाकर ओबीसी वर्ग को संबल प्रदान किया गया।

15. शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में आरक्षण-

आदरणीय ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन जिसमें प्रदेश के समस्त जिलों के ओबीसी, SC तथा ST वर्ग के योग्य अधिवक्ता सदस्य हैं। हम सभी न्यायसंगत तर्कों को लेकर जनता के समक्ष तकनीकी पक्षों को लाना चाहते हैं। जिससे जनता को जानकारी लग सके कि ओबीसी आरक्षण को लेकर जो बातें राजनैतिक दलों द्वारा की जा रही हैं, उनमें कितनी सच्चाई है। चुनावी सभाओं और राजनैतिक बयानबाजी में जो बातें कही जा रही हैं, कोर्ट की कार्यवाहियों में उनका कितना उपयोग किया जा रहा है। अब तक यह तथ्य तो नजर आता है कि कांग्रेस सरकार के वक्त ओबीसी आरक्षण को लेकर ठोस काम किए गए, लेकिन भाजपा की सरकार के वक्त ऐसा काम किया गया, जिससे ओबीसी वर्ग को कोर्ट में न्याय मिल नहीं सका।

रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह,विशेष अधिवक्ता मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
द्वारा, ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन 

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