मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा, विक्रम संवत-२०८०, सोमवार, 27 नवम्बर 2023 एवं श्री गुरु नानक जयंती का दिन काफी खुशनुमा है। सरकारी छुट्टी और मावठ की बारिश ने इस दिन को मूल्यवान बना दिया है परंतु मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के जिलों में भारी बारिश हुई है। कुछ इलाकों में पिछले 24 घंटे में 11 सेंटीमीटर तक बारिश हुई है।
कई इलाकों में 11cm बारिश, वज्रपात से चार नागरिकों की मृत्यु
दिनांक 26 नवंबर को सुबह 8:30 बजे से लेकर दिनांक 27 नवंबर की सुबह 8:30 बजे तक झाबुआ जिले के रामा में 11 सेमी, राणापुर में 9 सेमी तथा बड़वानी जिले के निवाली में 11 सेमी, सेंधवा में 11 सेमी, पानसेमल में 10 सेमी वर्षा दर्ज की गई। रविवार को मालवा-निमाड़ के इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, धार, नीमच और झाबुआ समेत कई जिलों में बारिश हुई। इससे दिन में ठंडक बढ़ गई। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में आकाशीय बिजली गिरने से दंपती समेत 4 लोगों की मौत हो गई। रविवार को रतलाम और उज्जैन सबसे ठंडे रहे। यहां तापमान में 5.4 डिग्री तक गिरावट दर्ज की गई।
- इंदौर में शाम 4 बजे के बाद कई इलाकों में गरज-चमक के साथ रिमझिम बारिश शुरू हो गई। इससे पहले सुबह कोहरा छाया रहा। जिसके चलते वाहन चालकों को लाइट ऑन करके गाड़ी चलानी पड़ी।
- उज्जैन में सुबह से बादल छाए थे। शाम चार बजे हल्की बारिश शुरू हो गई। अचानक मौसम बदलने से ठंड बढ़ गई। करीब 25 मिनट तक बारिश ने शहर को भिगोया।
- मंदसौर में भी दोपहर बाद तेज हवा और गरज-चमक के साथ बारिश हुई। करीब 20 मिनट तक पानी गिरा। सर्दी भी बढ़ गई है।
- देवास में शाम के समय तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश शुरू हो गई। बारिश के बाद मौसम में ठंडक घुल गई। वहीं, धार का मांडू भी तरबतर हो गया। यहां घूमने आए पर्यटक भीग गए।
- झाबुआ जिले के कई इलाकों में दोपहर बाद गरज-चमक और तेज हवा के साथ बारिश होने लगी। जिससे ठंड बढ़ गई। मौसम के बदलाव ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है।
- रविवार को बड़वानी शहर समेत जिले में कई जगहों पर पानी गिरा। करीब एक घंटे तक लगातार बारिश होती रही। इस दौरान सड़कों पर कई जगह जलजमाव की स्थिति बन गई।
किसानों के लिए एडवाइजरी
- परिपक्व फसलों की जल्द से जल्द कटाई करें और उन्हें सुरक्षित स्थान पर जमा करें।
- केले के गुच्छों को बांस की डंडियों या पॉलीप्रोपाइलीन की डंडियों से सहारा दें।
- नई रोपी गई सब्जियों लता वाली सब्जियों को सहारा दें।
- बागवानी की फसलों में यांत्रिक क्षति को रोकने के लिए हेलनेट का उपयोग करें।
- सिंचाई और किसी भी प्रकार के रासायनिक छिड़काव से बचें।
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