मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरकारी जिला चिकित्सालय, जेपी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने रोड एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हुए 24 साल के जवान लड़के का प्राथमिक इलाज तक नहीं किया। वह दर्द से तड़प रहा था और डॉक्टरों ने उसे भगा दिया। बड़ी मुश्किल से वह हमीदिया हॉस्पिटल पहुंचा, जहां उसकी मृत्यु हो गई। यदि समय पर प्राथमिक इलाज मिल जाता तो शायद आज लड़का जिंदा होता।
भोपाल के चेतक ब्रिज पर हुआ था एक्सीडेंट
अमन दुबे, उम्र 24 वर्ष, निवास विकास नगर गोविंदपुरा के पिता राजकुमार दुबे ने बताया कि अमन अमेजन और फ्लिपकार्ट से डिलीवर किए जाने वाले इलेक्ट्रानिक आइटम की फिटिंग का काम करता था। काम के सिलसिले में ही वह रविवार की सुबह साडू़ श्रीकांत दुबे के साथ निकला था। चेतक ब्रिज पर रॉन्ग साइड से आ रहे बाइक चालक ने बेटे की प्लेटिना बाइक को टक्कर मार दी। हादसे के बाद टक्कर मारने वाला भाग निकला। अमन के चेहरे और हाथ-पैर में चोटें थीं। उसके सीने में भी तकलीफ थी। जबकि श्रीकांत भी घायल हुए थे।
चेतक ब्रिज पर किसी ने हेल्प नहीं की, जेपी अस्पताल में इलाज नहीं किया
चेतक ब्रिज जैसे भीड़ भाड़ वाले मार्ग पर एक्सीडेंट हो जाने के बावजूद किसी ने एंबुलेंस को कॉल नहीं किया। अमन खुद हिम्मत करके उठा और बाइक चला कर जेपी अस्पताल पहुंचा लेकिन जेपी अस्पताल में उसका इलाज नहीं किया गया। उल्टा उससे झगड़ा किया गया और उसे भगा दिया गया। जेपी अस्पताल परिसर में उसकी हालत बेहद गंभीर हो गई थी। उसके साडू़ श्रीकांत ने उसे बाइक से हमीदिया अस्पताल पहुंचाया। इस बीच अमन दर्द से कराह रहा था। वह लगातार सीने में तेज दर्द की शिकायत कर रहा था। जेपी अस्पताल में भी उसने यह बात बताई थी। लेकिन, किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। हमीदिया पहुंचने में आधे घंटे से अधिक का समय लगा। वहां इलाज के दौरान देर रात अमन की मौत हो गई।
15 दिन पहले बेटे का जन्म हुआ था
अमन दुबे की शादी चार साल पहले कुमकुम से हुई थी। दोनों की बड़ी बेटी जानवी (3) है, जबकि बेटे का जन्म 15 दिन पहले हुआ है। जिसका फिलहाल नामकरण नहीं किया गया है। अमन बेटे के जन्म के बाद बेहद खुश था। उसने पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी थी। बेटे को उसने दीपावली पर भगवान का दिया सबसे बड़ा गिफ्ट बताया था। इन तमाम बातों को याद कर अमन के पिता राजकुमार लगातार बिलख रहे हैं। अमन राजकुमार का इकलौता बेटा था।
अमन तड़प रहा था, आंखों से आंसू बह रहे थे
मृतक के साडू़ श्रीकांत दुबे ने बताया कि घटना के बाद से वह सीने में दर्द की शिकायत कर रहा था। इसके बाद भी गाड़ी उसी ने चलाई, और जेपी अस्पताल पहुंचे। वहां इलाज नहीं मिला। इसके बाद हमें हमीदिया जाना पड़ा। इस दौरान उसकी आंखों में आंसू थे। वह बता रहा था कि भैया मेरे सीने में तेज दर्द है। मैं दिलासा देता रहा, बस अस्पताल पहुंचते ही सब ठीक हो जाएगा।
इतना बड़ा कांड हो गया और सिविल सर्जन को पता ही नहीं
जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन राकेश श्रीवास्तव ने का बयान सामने आया है, उनका कहना है कि मुझे अभी इस घटना की जानकारी नहीं है, अगर ऐसा हुआ है तो गलत है, अगर कोई इस मामले में शिकायत करता है तो हम कार्रवाई करेंगे।
कितनी अजीब बात है, इतना बड़ा कांड हो गया, जीपीएस अस्पताल में एक गंभीर रूप से घायल मरीज को झगड़ा करके भगा दिया गया, इलाज नहीं किया गया और सिविल सर्जन को कुछ पता ही नहीं। कई बार न्यायालय समाचार कोई याचिका मानकर मामले की सुनवाई शुरू कर देते हैं परंतु सिविल सर्जन को इस मामले में एक शिकायत चाहिए। जब तक शिकायत नहीं मिलेगी तब तक जांच नहीं होगी।
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