श्री रविन्द्र कुमार डहरवाल, सहायक शिक्षक (सिवनी )के पद से एवम श्रीमती आशा गुप्ता, सहायक शिक्षक (कटनी) के पद से स्कूल शिक्षा विभाग से, 30 जून को रिटायर हुए थे। 30 जून को रिटायर होने के कारण, 1 जुलाई को देय वेतन वृद्धि से वंचित थे। विभाग द्वारा मांग स्वीकार नहीं होने के कारण, उन्होंने उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली थी। उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगल खंड पीठ ने उनके पक्ष में आदेश पारित किया है।
साल भर की सेवाओं को शून्य नही किया जा सकता है
रिटायर्ड कर्मचारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी , उच्च न्यायालय जबलपुर ने बताया कि कोर्ट के द्वारा कहा गया है की, सुप्रीम कोर्ट एवम हाई कोर्ट द्वारा के द्वारा स्पष्ट प्रतिपादित कानून की इंक्रीमेंट 1 जुलाई को देय होने के कारण साल भर की सेवाओं को शून्य नही किया जा सकता है। कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए, कहा है की सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूर्णतः याचिकाकर्ता पर लागू है। उक्तानुसार , कर्मचारी को लाभ दिया जाए। अतः उसकी व्याख्या का अधिकार शासन को नही है। उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा स्पष्ट किया गया है कि, कोर्ट द्वारा पारित आदेश का लाभ केवल याचिका कर्ता को देय है।
30 जून को रिटायर होने वाले प्रत्येक कर्मचारी को हाई कोर्ट जाना पड़ता है
उल्लेखनीय है कि दिनांक 30 जून को रिटायर होने वाले प्रत्येक कर्मचारी कोदिनांक 1 जुलाई से मिलने वाले इंक्रीमेंट का लाभ प्राप्त करने के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के निरंतर आदेश दिए जाने के बावजूद मध्य प्रदेश शासन द्वारा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया जा रहा है। यह अपने आप में एक अन्याय पूर्ण लापरवाही है।
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