मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर के सदस्यों के लिए अब तनावपूर्ण स्थिति बन गई है। परीक्षाओं की तारीखों में 45 दिन के अंदर की मांग को लेकर एक दिन पहले उम्मीदवारों ने प्रदर्शन किया था, आज कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं के बयान सामने आ गए हैं। युवा नेता विक्रांत भूरिया से लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा तक में बयान दे दिया है।
एमपीपीएससी परीक्षा तारीख के बारे में कांग्रेस नेताओं के बयान
विवेक तन्खा- मप्र में छात्र आंदोलित है। छात्र पेपर्स और अलग-अलग परीक्षाओं के बीच में समय गैप की मांग रख रहे हैं। पीएससी को इसे छात्रों के पाइंट ऑफ व्यू से परीक्षण करना चाहिए। आखिर परीक्षा भी छात्रों के लिए तो है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले में विवेक तन्खा द्वारा किए गए ट्वीट को रिट्वीट कर समर्थन किया है।
उमंग सिंघार गंधवानी विधायक - मप्र के युवाओं का मनोबल पहले से ही बेरोजगारी, घोटाले, कमीशनखोरी, पेपर लीक और आयोग की सुस्ती ने तोड़ रखा है। पहले तो चार सालों से एक भी नियुक्ति नहीं हुई और अब एक माह में तीन परीक्षा लगातार। सरकार की युवाओं के प्रति कोई संवेदनशील नहीं, उनके दुख का कोई अंदाजा नहीं। युवा इस परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं, मेरा एमपी पीएससी आयोग से निवेदन है कि जल्द से जल्द परीक्षा तारीखें अभ्यर्थियों के अनुकुल की जाएं।
विंक्रात भूरिया झाबुआ से कांग्रेस प्रत्याशी - प्रतियोगिता परीक्षा कभी आसान नहीं होती, समय और पूरी तैयारी लगती है। मप्र लोक सेवा आयोग से अनुरोध करता हूं कि अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तीनों परीक्षाओं में उचित अन्तराल रखें, जिससे अभ्यर्थी तीनों परीक्षाओं में शामिल हो सके और ज्यादा से ज्यादा परीक्षार्थी इस परीक्षा में भाग ले सकें।
दीपक पिंटू जोशी इंदौर विधानसभा क्रमांक 3 से कांग्रेस के प्रत्याशी - एक माह में चार विभिन्न प्रकार की परीक्षा देना किसी भी छात्र के लिए संभव नहीं है। मप्र लोक सेवा आयोग से मेरा विनम्र आग्रह है कि वह छात्रहित में न्यायहित में तत्काल प्रभाव से प्रारंभिक परीक्षा 2023 की तिथि परिवर्तित करें अन्यथा उचित वैधानिक कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
कुणाल चौधरी कालापीपल से विधायक एवं कांग्रेस के प्रत्याशी - वरिष्ठ नेताओं की सक्रिय हो जाने के बाद कुणाल चौधरी को भी ध्यान में आया कि वह एक युवा विधायक है। इसके बाद उन्होंने भी एमपीपीएससी उम्मीदवारों की मांग के समर्थन में बयान जारी कर दिया।
टंटे की जड़ - यानी प्रॉब्लम क्या है
मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन इंदौर में दिसंबर के महीने में 20 दिन के अंदर तीन ऐसी परीक्षाओं का आयोजन सुनिश्चित कर दिया है जिसमें उम्मीदवार लगभग समान है। ऐसे उम्मीदवार जिन्हें तीनों परीक्षा देनी है वह एमपीपीएससी के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। एमपीपीएससी की ही एक पॉलिसी है कि इस प्रकार की दो महत्वपूर्ण परीक्षाओं के बीच में 40 दिन का अंतर होना चाहिए। उम्मीदवार इस अंतर की मांग कर रहे हैं। इधर आयोग का तर्क है कि, इनमें से एक परीक्षा की तारीख तो चुनाव के पहले की निर्धारित है। चुनाव के कारण स्थगित कर दी गई थी। इसलिए 40 दिन का अंतर हो चुका है। कैंडिडेट्स को अपनी पढ़ाई करने और रिवीजन करने का 2 महीने का अतिरिक्त समय मिल चुका है। पिछले दिनों मीटिंग में आयोग के सदस्यों ने जोर लगाकर कहा कि हम किसी कीमत पर तारीख नहीं बदलेंगे। इसके बाद बात बिगड़ गई है।
एमपीपीएससी इंदौर अब क्या करेगा
सरकारी दस्तावेजों में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और बिना किसी दबाव और भेदभाव के काम करने के लिए गठित की गई है परंतु पिछले कुछ सालों में एमपीपीएससी द्वारा लिए गए फैसले बताते हैं कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग सरकार के इशारों पर काम करने वाली संस्था है। इस हिसाब से दिनांक 3 दिसंबर तक आयोग की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आएगी। यदि कांग्रेस की सरकार बन गई तो तारीख बदल जाएगी, यदि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो इंदौर में बैठा आयोग श्यामला हिल्स भोपाल के लिए ध्यान लगाएगा और जो भी संकेत मिलेंगे उसके हिसाब से फैसला सुना दिया जाएगा।
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