Rojgar Samachar - Employment news
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को दिए गए फैसले का असर दिखाई देने लगा है। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अपनी वर्तमान शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान की ओर से जारी होने वाले डीएलएड डिप्लोमा को अमान्य घोषित कर दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने NIOS DElEd diploma को, प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए योग्यता का दस्तावेज मानने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारत के वह सभी लाखों उम्मीदवार प्रभावित होंगे, जो राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान को एक सरकारी संस्थान मानते हुए उसके डिप्लोमा को सरकारी नौकरी के लिए मान्य समझकर पढ़ाई पूरी कर चुके हैं।
NIOS DElEd diploma मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़िए
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से 18 महीने का डीएलएड डिप्लोमा कोर्स 2 साल के डिप्लोमा के बराबर नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी तथ्यों से जाहिर होता है कि एनआईओएस से 18 माह डीएलएड डिप्लोमा को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने शिक्षक भर्ती के लिए योग्यता के रूप में मान्यता नहीं दी है। कोर्ट के इस फैसले से NIOS से 18 माह का डीएलएड डिप्लोमा धारक नई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते।
भारत में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए 2 वर्ष का डीएलएड डिप्लोमा अनिवार्य
पीठ ने हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि NIOS से 18 माह का डीएलएड डिप्लोमा पाठ्यक्रम 2 साल के डिप्लोमा के बराबर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट का यह कहना गलत है कि दोनों डिप्लोमा बराबर है। एनसीटीई द्वारा 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 की अधिसूचनाओं के स्थान पर इस आशय की (18 माह के डिप्लोमा पाठ्यक्रम) कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है, जिसमें शिक्षकों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में न्यूनतम 2 वर्ष के डिप्लोमा को अनिवार्य योग्यता माना गया था। यह टिप्पणी करते हुए शीर्ष कोर्ट ने फैसला रद्द कर दिया।
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