नई पेंशन स्कीम में घोटाला सामने आ गया है। NPS के तहत शिक्षकों के वेतन से निकल गई धनराशि ट्रांजैक्शन के लिए जिम्मेदार दो क्लर्क द्वारा एक प्राइवेट बैंक में डिपॉजिट कर दी गई। यह गैरकानूनी और आर्थिक अपराध है। डिपार्टमेंट ने पुलिस को लिखित शिकायत एवं दस्तावेज भेज दिए हैं। दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। FIR दर्ज करने के बाद अब पुलिस इस मामले में अगली कार्रवाई करेगी। यह मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है लेकिन भारत के किसी भी राज्य में हो सकता है। क्योंकि पॉलिसी में एक ऐसा प्रावधान है जिसके कारणबड़ी आसानी से घोटाला किया जा सकता है।
NPS की धनराशि UTI, SBI और LIC में ही इन्वेस्ट की जा सकती है
नई पेंशन प्रणाली के तहत शिक्षा विभाग में एक अप्रैल 2005 के बाद आए शिक्षक और कर्मचारियों की पेंशन को UTI, SBI और LIC में निवेश करने का प्रावधान है। इसके अलावा अन्य बैंक में निवेश करने पर संबंधित शिक्षक और कर्मचारी से सहमति लेते हुए नोडल अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है।
287 शिक्षकों की एनपीएस की राशि का घोटाला
गुरुवार को पेंशन निदेशालय ने DIOS को सूचित किया कि जनपद के 287 शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की पेंशन राशि निजी बैंक HDFC BANK में निवेश की गई। इसमें अप्रैल, मई एवं जून 2022 की धनराशि का निवेश किया गया है। संबंधित शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी को कोई भी सहमतिपत्र नहीं मिला है।
लखनऊ एनपीएस घोटाले में दो कर्मचारी सस्पेंड
इस पर DIOS ने आरोपित पटल सहायकों से स्पष्टीकरण मांगा था। संतोषजनक जवाब न मिलने पर संयुक्त शिक्षा निदेशक,षष्ठ् मंडल डॉ. प्रदीप कुमार ने आरोपित आंग्ल भारतीय विद्यालय के वरिष्ठ सहायक सर्वेश निगम और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोमतीनगर के कनिष्ठ सहायक आशीष कुमार को सस्पेंड कर दिया। दोनों को डायट से सम्बद्ध कर दिया गया है।
वहीं इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी, हरदोई को जांच अधिकारी नामित किया गया है। डीआईओएस राकेश कुमार ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए वजीरगंज पुलिस स्टेशन में तहरीर दी गई है। संयुक्त शिक्षा निदेशक,षष्ठ् मंडल डॉ.प्रदीप कुमार ने बताया कि जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम समिति गठित कर दी गई है। समित का अध्यक्ष मंडलीय उप शिक्षा निदेशक(मां)पष्ठ् मंडल को बनाया गया है।
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