मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इसी के साथ क्षेत्रीय नेताओं के रिजल्ट भी आ गए हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों फेल हो गए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने टॉप किया है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्राप्तांक 31% हैं। उन्होंने अपने 13 समर्थकों को टिकट दिए थे जिसमें से सिर्फ छह प्रत्याशी चुनाव जीत पाए हैं। अपने समर्थकों को चुनाव जीतने के लिए श्री सिंधिया ने 70 बड़ी सभाएं और रोड शो किए। इसके अलावा 200 से ज्यादा मीटिंग और पूरे 1 महीने तक सिर्फ अपने समर्थकों को जीतने के लिए 24X7 काम किया। वैसे एक और बात भी है कि 48% वोट शेयर प्राप्त करने वाली भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव की टॉपर है।
चुनाव हारने वाले सिंधिया समर्थकों की लिस्ट
- मुरैना से रघुराज कंसाना,
- अंबाह से कमलेश जाटव,
- डबरा से इमरती देवी,
- पोहरी से सुरेश धाकड़,
- बमोरी से महेंद्र सिसोदिया,
- अशोक नगर से जजपाल सिंह जज्जी,
- बदनावर से राजवर्द्धन दत्तीगांव।
चुनाव जीतने वाले सिंधिया समर्थकों की लिस्ट
- प्रद्युम्न सिंह तोमर,
- बृजेंद्र यादव,
- गोविंद सिंह राजपूत,
- डॉ. प्रभुराम चौधरी,
- मनोज चौधरी,
- तुसली सिलावट
सिंधिया समर्थक जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिला
- गिर्राज इंडोतिया,
- ओपीएस भदौरिया,
- रणवीर जाटव,
- मुन्नालाल गोयल,
- रक्षा सिरोनियां,
- जसमंत जाटव।
गुटबाजी छोड़ दें तो सिंधिया, शिवराज के समकक्ष
यदि चुनाव परिणाम को गुटबाजी के नजरिए से ना देखा जाए, और केवल चुनाव प्रचार की समीक्षा की जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समकक्ष नजर आते हैं। भले ही सिंधिया समर्थकों को लाडली बहन और मोदी की गारंटी के बावजूद वोट नहीं मिल पाए हो लेकिन सिंधिया की सभा में भीड़ बराबर थी। लोगों ने सुनना पसंद करते हैं। उनके भाषण सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं। शायद यही कारण के भारतीय जनता पार्टी पूरे भारत में श्री सिंधिया को चुनाव प्रचार के लिए भेजती है।
2018 में सूपड़ा साफ कर दिया था
मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जबरदस्त प्रभाव देखा गया था। पूरे इलाके में "अबकी बार सिंधिया सरकार" इतनी जोर से गूंज रहा था कि भारतीय जनता पार्टी ने भी उन्हें कांग्रेस पार्टी की ओर से सीएम कैंडिडेट मान लिया था और पूरा चुनाव अभियान सिंधिया के खिलाफ था। इसके बावजूद भाजपा 34 में से मात्र 7 सीटों पर चुनाव जीत पाई थी। 2020 के उपचुनाव में जब सिंधिया, कांग्रेस से भाजपा में आए तो 16 सीटों पर उपचुनाव हुआ। इनमें से 9 सीटों पर जनता ने सिंधिया के कहने पर सिंधिया के भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया। इस प्रकार ग्वालियर चंबल की जनता पर सिंधिया का प्रभाव दिखाई दिया। पार्टी से ऊपर सिंधिया की अपील महत्वपूर्ण नजर आई थी।
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