नगर पालिका निगम भोपाल मध्य प्रदेश के कमिश्नर श्री फ्रैंक नोबल ए ने सब इंजीनियर सत्यम सिंह एवं सहायक यंत्री केसी गुप्ता को सस्पेंड कर दिया है। दोनों को आरोप पत्र दिया जाएगा और यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं निकला तो सेवाएं समाप्त कर दी जाएगी। निलंबन की कार्रवाई नगर निगम के चार सदस्य जांच दल की रिपोर्ट पर की गई। दोनों इंजीनियर भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए हैं।
भोपाल नगर निगम में भ्रष्टाचार की कहानी
भारतीय जनता पार्टी के पार्षद श्री देवेंद्र भार्गव ने नगर निगम परिषद की बैठक में यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि वार्ड क्रमांक 12 नारियल खेड़ा में नाली निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। आरसीसी की जगह पीसीसी की नाली बनाई जा रही है। इसके लिए 50-50 लाख के तीन वर्क आर्डर जारी हुए। नगर निगम द्वारा ठेकेदार की भ्रष्टाचार को छुपाया जा रहा है और उसे लगातार भुगतान किया जा रहा है। जब यह मामला उठाया गया तब ठेकेदार को 70% भुगतान हो चुका था। पार्षद श्री भार्गव तत्काल कार्रवाई चाहते थे परंतु नगर निगम कमिश्नर जिसके लिए तैयार नहीं थे। इसी के चलते तनाव बढ़ गया और पार्षद श्री भार्गव परिषद की बैठक से वॉक आउट कर गए।
नगर निगम की बैठक से पार्षद के वॉकआउट कर जाने के कारण मामला सुर्खियों में आ गया। मीडिया ट्रायल के कारण परिषद के अध्यक्ष श्री कृष्ण सूर्यवंशी ने चार सदस्यों की एक जांच समिति गठित कर दी थी। इस समिति में अपर आयुक्त श्री पवन सिंह, अधीक्षण यंत्री श्री आरके सक्सेना, एमसी के सदस्य श्री अशोक वाणी और शिकायतकर्ता पार्षद श्री देवेंद्र भार्गव को शामिल किया गया। जांच समिति ने शिकायत को सही पाया। आरसीसी स्ट्रक्चर की नाली बनाने का ठेका मिला था परंतु ठेकेदार ने एक्सपायर हो चुकी सीमेंट और राख से बनाई गई ईटों से नाली बना दी। नाली निर्माण के समय गड़बड़ी को पकड़ने के लिए तैनात किए गए सब इंजीनियर सत्यम सिंह एवं सहायक यंत्री केसी गुप्ता ने पीसीसी की नली को आरसीसी स्ट्रक्चर का निर्माण बताया, और इसके आधार पर ठेकेदार को भुगतान मिला।
जांच समिति ने ठेकेदार एवं दोनों इंजीनियरों को भ्रष्टाचार का दोषी घोषित करते हुए, दंड निर्धारण हेतु जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौंप दी थी। इसी के आधार पर दोनों इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया गया है। ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। दोनों इंजीनियर और ठेकेदार को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा और यदि दोनों इंजीनियर और ठेकेदार स्वयं को निर्दोष साबित नहीं कर पाए तो दोनों इंजीनियरों को बर्खास्त कर दिया जाएगा एवं ठेकेदार को हमेशा के लिए ब्लैक लिस्ट करने के बाद तीनों के खिलाफ पुलिस थाने में आपराधिक मामला दर्ज करवाया जाएगा।
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