मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय परिवहन विभाग में पब्लिक के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, ताजा मामला इसका पुख्ता प्रमाण है। आर्मी के कप्तान को भोपाल आरटीओ से ₹3000 वापस लेने में पूरे 2 साल लगे, कोर्ट केस लड़ना पड़ा तब नहीं जाकर वापसी के आदेश जारी हो पाए हैं।
ग्रुप कैप्टन केपी जैकब विरुद्ध परिवहन विभाग मामले का विवरण
मामला तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुए अतिरिक्त भुगतान का है। यदि आप किसी दुकानदार को ऑनलाइन पेमेंट करते हैं और किसी भी कारण से दुकानदार के पास निर्धारित रकम से ज्यादा राशि पहुंच जाती है तो वह बिना किसी प्रक्रिया के आपकी अतिरिक्त राशि आपको वापस कर देता है, परंतु परिवहन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल में ऐसा नहीं होता। सेना के ग्रुप कैप्टन केपी जैकब ने परिवहन विभाग के आयुक्त, आरटीओ के अधिकारी सहित एमपी आनलाइन के निदेशक के विरुद्ध अप्रैल मार्च 2022 में याचिका लगाई। उन्होंने शिकायत की थी कि अप्रैल 2021 में बेटे के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ के अधिकृत वेबसाइट से आवेदन कर रहा था। तब एमपी आनलाइन से आवेदन करते समय 700 रुपये शुल्क जमा नहीं हुआ। कियोस्क संचालक ने कहा कि जब तक शुल्क जमा होने की सूचना ना मिले तब तक शुल्क जमा करते रहें। इस तरह से कैप्टन ने सात बार में 3200 रुपये की राशि जमा कर दी।
परिवहन विभाग के कमिश्नर भी शिकायतों पर ध्यान नहीं देते
उनसे कहा गया कि अतिरिक्त राशि वापस मिल जाएगी, लेकिन एक साल बाद भी राशि वापस नहीं मिली। मामले की शिकायत उन्होंने परिवहन विभाग के आयुक्त से लेकर आरटीओ अधिकारी तक की, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। मामले में आयोग की अध्यक्ष न्यायाधीश गिरीबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज व सदस्य अरूण प्रताप सिंह ने कैप्टन के पक्ष में निर्णय सुनाया। आयोग ने आरटीओ के अधिकारी को फटकार लगाते हुए दो माह के अंदर 3200 रुपये का सात प्रतिशत ब्याज के साथ 20 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देना होगी।
आरटीओ के वकील डॉक्यूमेंट चेक किए बिना एमपी ऑनलाइन को दोषी बता रहे थे
उपभोक्ता मामले के अधिवक्ता सुनील नेमा ने बताया कि आरटीओ एमपी आनलाइन को जिम्मेदार ठहरा रहा था, लेकिन एमपी आनलाइन ने आरटीओ में जमा राशि का विवरण दे दिया। इससे आरटीओ इंकार नहीं कर सका। इसके बाद आयोग ने आरटीओ पर जुर्माना लगाया। इसकी रिकवरी के भी आदेश दे दिए गए।
इनका कहना है
एक साल तक आरटीओ कार्यालय का चक्कर लगाया, लेकिन कोई समस्या का निराकरण नहीं हुआ। आरटीओ सहित परिवहन विभाग को सबक सिखाने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी।
केपी जैकब, ग्रुप कैप्टन, उपभोक्ता