क्या आपने कभी कोई ऐसा टाइगर देखा है जिसे इंसानों से दोस्ती पसंद है। जो इंसानों को देखते ही स्माइल करने लगता है, उन पर हमला नहीं करता। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वन विहार में दो ऐसे टाइगर हैं जिन्हें इंसानों के साथ रहना पसंद है। यदि उन्हें इंसान दिखाई नहीं देते तो बीमार पड़ जाते हैं।
भोपाल में अहिंसावादी टाइगर- मां की मौत हो गई थी, इंसानों ने पाला
यह दोनों टाइगर बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट से भोपाल ले गए हैं। इनमें से एक टाइगर (T-1) ऐसा है, जिसकी मां उसकी और इलाके की रक्षा करते हुए दूसरे टाइगर के हमले में शहीद हो गई थी। उसे समय इस बच्चा टाइगर की उम्र मात्र 6 महीने की थी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोगों ने इस टेरिटरी में एक बड़ा बनकर इसको सुरक्षित रखा था। मां की मृत्यु के बाद इस टाइगर को इंसानों ने पाला। भोजन उपलब्ध कराया और बीमार होने पर इलाज किया। अब इस टाइगर की उम्र 2 वर्ष हो गई है। वन्य प्राणियों के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार इस स्वतंत्र जंगल में छोड़ना था, लेकिन जब-जब इसे जंगल में छोड़ा गया यह वापस इंसानों के पास चला आया। 45 दिन तक इस टाइगर ने कोई शिकार नहीं किया। अंत में इस अहिंसावादी टाइगर को और रेस्क्यू करके वन विहार भोपाल भेज दिया गया है।
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बांधवगढ़ के मानपुर बफर से रेस्क्यू किए गए टाइगर T-2 को पहचान दी गई है। यह क्षेत्राधिकार की लड़ाई में कई बार घायल हुआ है। इसने हर बार अपनी टेरिटरी बनाई परंतु दूसरे किसी टाइगर ने आकर इस पर हमला किया और इसकी टेरिटरी छीन ली। आधिकारिक तौर पर इसे तीन बार घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया और इलाज करने के बाद जंगल में छोड़ा गया। हर लड़ाई में हर जाने के कारण शायद डिप्रेशन में आ गया है। अब किसी पर हमला नहीं करता है। एन्क्लोजर में भी शांत बैठा रहता है। जब भी घायल हुआ तब इंसानों ने इसका इलाज किया इसके कारण इसे इंसानों के साथ रहना पसंद है। शायद स्वयं को इंसानों के साथ सुरक्षित महसूस करता है। यही कारण है कि इस टाइगर को बांधवगढ़ से रेस्क्यू करके वन विहार भोपाल भेजा गया है।
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