BNS 300, IPC 298 - धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, कितना गंभीर अपराध, जानिए legal advice

Bhopal Samachar

Legal general knowledge and law study notes

भारत में सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को, किसी भी दूसरे व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं एवं रीति रिवाज में दखल देने से रोकता है। इसी के आधार पर भारतीय दंड संहिता 1860 एवं अब भारतीय न्याय संहिता 2023, में किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना, अपराध माना गया है और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ दंड प्रावधान किया गया है। 

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 300 की परिभाषा 

यदि कोई भी व्यक्ति, अपनी वाणी से, अथवा अपने अभिनय से, अथवा किसी भी प्रकार के इशारे से, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी धार्मिक मान्यता, रीति रिवाज, इष्ट देवता, प्रतीक चिन्ह अथवा किसी भी मान्यता के विरुद्ध अभिव्यक्ति प्रकट करता है तो, ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 300 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा एवं सजा के निर्धारण के लिए सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। भारतीय दंड संहिता 1860 में यह अपराध धारा 298 के अंतर्गत आता है। 

The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 300, Indian Penal Code, 1860 section 298 Punishment

भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के अनुसार इस प्रकार के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 300 के अनुसार इस प्रकार के अपराध को संज्ञेय के स्थान पर असंज्ञेय घोषित कर दिया गया है। विशेष नोट:- नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 में यह धारा 299 है अब, एवं दण्ड की शर्तें यथावत है। 

Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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