ग्वालियर का सिंधिया परिवार कई प्रकार के प्रॉपर्टी डिस्प्यूट में उलझा हुआ है। ऐसे ही एक संपत्ति विवाद में न्यायालय का फैसला आ गया है। न्यायालय में निर्णय हुआ है कि महल गांव में यशवंत राव राणे की जमीन को केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी माताजी श्रीमती माधवी राजे सिंधिया, उनकी बहन श्रीमती चित्रांगदा राजे और नारायणन बिल्डर्स एवं डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर, अपनी संपत्ति बताकर बेच रहे हैं। न्यायालय ने रोक लगा दी है।
ग्वालियर में चेतकपुरी के सामने महल गांव में सर्वे नंबर 1211/1, 1211/2 एवं 1211/3 की कुल 6 बीघा 4 विस्वा जमीन के स्वामित्व का विवाद न्यायालय में विचाराधीन था। द्वादशम सत्र न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश श्री अजय सिंह ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुनाया है। उन्होंने याचिकाकर्ता श्री यशवंत राव राणे को इस जमीन का स्वामी घोषित कर दिया है। इसी के साथ आदेश दिया है कि, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी माताजी श्रीमती माधवी राजे सिंधिया, उनकी बहन श्रीमती चित्रांगदा राजे और नारायणन बिल्डर्स एवं डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर, जमीन का विक्रय नहीं कर सकते हैं। ग्वालियर के जिला कलेक्टर एवं नगर निगम ग्वालियर के कमिश्नर को आदेश का पालन करने के लिए कहा गया है।
श्रीकृष्णराव राणे का बेटा नाबालिग था इसलिए सिंधिया ने उनकी जमीन अपने नाम दर्ज करवा ली
एडवोकेट आरके सोनी के अनुसार, इस जमीन को लेकर राणे द्वारा प्रस्तुत एक वादपत्र 22 फरवरी 2018 को निरस्त कर दिया गया था। जिसे चुनौती देते हुए राणे ने यह अपील दायर की थी। यशवंत राव राणे ने कोर्ट को बताया था कि उक्त सर्वे नंबर की 6 बीघा 4 विस्वा जमीन मेरे पिता श्रीकृष्णराव राणे के स्वामित्व की थी और उनके देहांत के बाद जमीन का एकमात्र मालिक मैं हूं। पिता की मृत्यु के वक्त 1952 में मैं नाबालिग था और
अब वायुसेना से रिटायर्ड हूं।
उक्त जमीन का पंजीयन 1970-71 में श्रीमंत मातेश्वरी गजराराजे चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम से दर्ज कर दिया गया। जो कि गलत था और फिर इस जमीन को ज्योतिरादित्य सिंधिया, माधवीराजे व चित्रागंदा सिंह द्वारा नारायणन् बिल्डर्स एवं डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को 2006 में बेच दिया गया। जिसका उन्हें कोई अधिकार ही नहीं था।
मेरे पिता की निजी संपत्ति है और मैं उत्तराधिकारी मालिक हूं: ज्योतिरादित्य सिंधिया
इस मामले में सुनवाई के दौरान माधवी राजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और चित्रागंदा सिंह द्वारा कोर्ट में जवाब पेश कर बताया गया कि उक्त जमीन दिवंगत माधवराव सिंधिया के आधिपत्य की होकर निजी संपत्ति रही है। उनकी मृत्यु के बाद वारिसान के नाते हमें उक्त जमीन पर अधिकार प्राप्त हुए और हमें इस जमीन को बेचने का पूरा अधिकार था।
श्री सिंधिया के वकील उनके दावे के समर्थन में कोई पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए। जबकि याचिकाकर्ता के पास द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किया। उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर माननीय न्यायालय ने श्री यशवंत राव को जमीन का मालिक घोषित कर दिया।
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 700 करोड़ के महल के मालिक हैं
महल गांव में मात्र 6 बीघा 4 विस्वा जमीन के विवाद में कोर्ट केस हार गए श्री जो ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में 700 करोड रुपए मूल्य के महल " जय विलास पैलेस" के मालिक हैं। यह भारत के सबसे शानदार राजमहलों में से एक है। इस महल के कारण ही भारत की राजनीति में सिंधिया परिवार का दबदबा बना रहता है।
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