मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में पंजाब नेशनल बैंक की शीतलामाता बाजार ब्रांच में बैंक के कर्मचारियों ने एक खाताधारक का बैंक लॉकर उसकी मर्जी और उसकी जानकारी के बिना तोड़ दिया। उसमें रखे हुए 84.50 लाख रुपए के आभूषण निकल लिए। पूरे तीन साल तक कोर्ट केस लड़ने के बाद आदेश जारी हो पाए हैं। अभी भी कंफर्म नहीं है कि बैंक, अकाउंट होल्डर को 84.50 लाख रुपए अदा करेगा अथवा जिला फोरम के डिसीजन को चैलेंज करेगा।
खाताधारक की मृत्यु हुई तो लाकर खोलकर गहने गायब कर दिए
इंदौर के प्रतिष्ठित नागरिक स्वर्गीय योगेंद्र अजमेर को पंजाब नेशनल बैंक में लॉकर खोलना बहुत महंगा पड़ गया। उनकी मृत्यु के बाद जब दिनांक 30 अक्टूबर 2019 को उनकी सुपुत्री निशा बैंक लॉकर खोलने पहुंची तो पता चला कि, बैंक लॉकर का किराया जमा नहीं करने के कारण, बैंक लॉकर का ताला तोड़कर उसमें रखा सामान निकाल लिया और बैंक लॉकर किसी और को किराए पर दे दिया। पहले कहा गया कि समान ब्रांच में सुरक्षित है, परंतु दो दिन बाद सामान देने से इनकार कर दिया। बैंक लॉकर खोलने से पहले खाताधारक को कोई सूचना नहीं दी गई। बैंक लॉकर खोलते समय कोई पंचनामा नहीं बनाया गया। बैंक लॉकर में कितना सामान था, कोई लिस्ट नहीं बनाई गई।
लोग पंजाब नेशनल बैंक में लॉकर लेने से डरेंगे
उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग क्रमांक एक इंदौर के अध्यक्ष श्री बलराज पालोदा एवं सदस्य सुश्री निधि बारंगे ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए, बैंक को आदेश दिया कि वह लॉकर में रखे हुए 84.50 लाख रुपए मूल्य के आभूषण खाता धारक के उत्तराधिकारी को लौटाए अथवा उनका मूल्य अदा करें। बैंक चाहे तो जो कर्मचारी इसके लिए जिम्मेदार हैं उनके वेतन से वसूली की जाए। कुल मिलाकर सन 2020 से 2023 तक 3 साल लंबी लड़ाई के बाद जिला आयोग का फैसला आया है। बैंक आदेश का पालन करेगा अथवा चुनौती देगा, अभी स्पष्ट नहीं है। इन तीन सालों में गोल्ड का प्राइस 49000 से ₹65000 हो गया है। खाताधारक के उत्तराधिकारी को समय के साथ अपने आप नुकसान होता जा रहा है।
सब कुछ पंजाब नेशनल बैंक मैनेजमेंट की पॉलिसी के कारण हो रहा है। यदि बैंक मैनेजमेंट इंटरनल इंक्वारी करता और खाताधारक के उत्तराधिकारी को उसके आभूषण अथवा उनका मूल्य अदा कर देता, तो बैंक के नाम पर कलंक ना लगता, उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह उपस्थित ना होता।
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