जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश द्वारा उन सभी याचिकाकर्ता शिक्षक, डॉक्टर एवं कर्मचारियों को वेतन वृद्धि के आदेश जारी किए गए हैं जिनका रिटायरमेंट दिनांक 30 जून और 31 दिसंबर को हो गया था।
श्री नन्द लाल सिंगार , जूनियर रिटायर्ड (कार्यालय उपायुक्त आदिवासी विकास, इंदौर संभाग) रामसेवक गोस्वामी, सहायक ग्रेड तीन, वर्ष 2010 में रिटायर्ड (कृषि विभाग) छतरपुर, महेंद्र कुमार चतुर्वेदी, शिक्षक रिटायर्ड, जिला सीधी, श्रीमती कृष्णा जोशी ,रिटायर्ड सहायक शिक्षक, जिला नर्मदापुरम, सुशील कुमार दुबे , रिटायर्ड सुपरवाइजर , स्वास्थ्य विभाग, जिला जबलपुर, डॉक्टर अशोक तिवारी, रिटायर्ड आयुर्वेद अधिकारी, आयुष विभाग रीवा, तिलक चंद बिनाके, रिटायर्ड शिक्षक, कर्मचारियों द्वारा उनके 30 जून एवम एक जनवरी को रिटायर्ड होने के कारण, जुलाई में ड्यू इंक्रीमेंट की मांग को लेकर, उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट याचिका दायर की गई थी।
रिटायर्ड कर्मचारियों के मामले, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली, युगल पीठ में सूची बद्ध किए जा रहे हैं।रिटायर्ड याचिका कर्ता कर्मचारियों/अधिकारियों की ओर से हाई कोर्ट में पैरोकार वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगल पीठ के सामने, पेंशनर्स का पक्ष रखते हुए बताया कि कर्मचारी द्वारा वर्ष भर सेवा करने के पश्चात, सेवा के बदले में मिलने वाले, सेवा लाभ, कर्मचारी के पक्ष में, विधिक/कानूनी अधिकार उत्पन्न करते हैं, उक्त उद्भूत विधिक अधिकार से कर्मचारी को वंचित नहीं किया जा सकता है, ना ही, निषेध किया जा सकता है। अतः, कर्मचारी को जुलाई/जनवरी, में मिलने वाले, इंक्रीमेंट से वंचित नही किया जा सकता है। जब तक किसी दूसरे कारण से वेतन वृद्धि को नही रोका गया हो।
वकील श्री अमित चर्तुवेदी ने बताया है कि रिटायर्ड कर्मचारी के पक्ष में फैसला करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने, इंक्रीमेंट शब्द की व्याख्या दी हैं । उसके अनुसार, 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर कर्मचारी एक वेतन वृद्धि के पात्र हैं।ऐसा कोई नियम नहीं है, जो, पूर्व में की गई सेवा लाभ या वेतन वृद्धि प्राप्त करने के लिए, यह शर्त अधिरोपित करता हो, कि कर्मचारी को एक जुलाई/एक जनवरी को सेवा में निरंतर रहना पड़ेगा
वेतन में, वेतन वृद्धि प्रदान किया जाना, सेवा की एक शर्त है। वेतन वृद्धि, कलंक रहित सेवा के लिए, एक पारितोषिक है, जो कि एक अधिकार के रूप में परिवर्तित हो जाता है। वेतन वृद्धि प्रदान करने की कालावधि एक वर्ष है। कलंक रहित सेवा पूरे वर्ष देने के पश्चात , शासकीय कर्मचारी, वेतन वृद्धि का पात्र हो जाता है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा, सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी अपीलें निरस्त कर दी गईं हैं। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में, 30 जून/ 31 दिसंबर, को रिटायर संबंधित कर्मचारी को जुलाई में देय इंक्रीमेंट का पात्र माना है।
सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय जबलपुर से संबंधित याचिका कर्ता के विभागों एवम संबंधित जिला पेंशन अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है की याचिका कर्ता पेंशनर्स को एक वेतन वृद्धि का लाभ, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कानून के अनुसार दिया जावे। उल्लेखनीय है, कोर्ट द्वारा पारित आदेश, केवल याचिका कर्ता पेंशनर्स के उपर ही लागू है। कोर्ट के अनुसार, देरी से कोर्ट का दरवाजा खटखटाने एवम बाहर बैठकर तमाशा देखने वालो की सहायता नही हो सकती है। देरी के आधार पर, इंक्रीमेंट का दावा स्वीकार योग्य नही होता।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें। ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।