मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों ने फिर अपने नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रयास तेज़ कर दिए हैं। अभी हाल ही में अतिथि विद्वानों की चुनाव के कारण रुकी हुई भर्ती को विभाग ने फिर शुरू करने का कैलेंडर जारी किया है इस पर अतिथि विद्वान महासंघ के महासचिव डॉ अविनाश मिश्रा एवं डॉ दुर्गेश लसगरिया का कहना है कि पहले अतिथि विद्वानों को रिलोकशन (स्थानांतरण) का मौका मिलना चाहिए उसके बाद विभाग नई भर्ती करें।
दोनों पदाधिकारियों ने शासन प्रशासन से आग्रह किया है कि दूर दूर हजारों अतिथि विद्वान कार्य कर रहे हैं जबकि उन्ही के पास के जिलों में जगह खाली है। कई महिलाओं के पास विभिन्न समस्या है इसको देखते हुए पहले कार्यरत अतिथि विद्वानों का स्थांतरण किया जाए फिर भर्ती करे सरकार। आखिर कब तक अतिथि विद्वानों का शोषण होता रहेगा?
अतिथि विद्वानों के हित में सहायक प्राध्यापक भर्ती नहीं है
इधर अतिथि विद्वान महासंघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की होने वाली सहायक प्राध्यापक भर्ती किसी भी प्रकार अतिथि विद्वानों के हित में नहीं है। संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने बताया कि 11 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उस समय के उच्च शिक्षा मंत्री वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने महापंचायत में अतिथि विद्वानों के हित में कई एलान किए थे, पर उस घोषणा के एक भी बिंदु पूरी नहीं हुई आज तक।
आगे डॉ आशीष पांडेय ने बताया की उसी घोषणा में पीएससी में 25 प्रतिशत पद अतिथि विद्वानों के लिए,10 वर्ष उम्र में छूट,जितने नंबर का exm होगा उसमे 10 प्रतिशत अंक बोनस अतिथि विद्वानों को देने का इसके साथ ही 50 हजार फिक्स वेतन और रिटायरमेंट उम्र तक अतिथि विद्वानों की सेवा जारी रहेगी, इन सबकी घोषणा हुई थी पर इनमे से कोई भी घोषणा वादा सरकार का पूरा नही किया गया। शासन प्रशासन से अनुरोध है कि तत्काल शिवराज सिंह चौहान जी एवं मोहन यादव जी की घोषणाओं पर अमल करते हुए संशोधित आदेश जारी करने की कृपा करें।
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