एडमिशन के समय किसी भी प्रकार की सिफारिश और निवेदन को अनुशासन और ईमानदारी के नाम पर रिजेक्ट कर देने वाले केंद्रीय विद्यालय के एक प्रिंसिपल लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए हैं। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुई।
लोकायुक्त पुलिस की ओर से बताया गया है कि, एक ठेकेदार ने केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 के प्रिंसिपल श्री सतपाल सिंह के विरुद्ध एसपी लोकायुक्त से शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया था कि, उन्होंने सेंट्रल स्कूल नंबर 2 में 2 लाख रुपए के पैनल लगाए थे। प्रिंसिपल श्री सतपाल सिंह बिल का भुगतान नहीं कर रहे थे। नियमानुसार बिल का पेमेंट करने के बदले में 10% रिश्वत की मांग की गई थी। उन्होंने अधिकार पूर्वक इसे अपना कमीशन कहा था।
शिकायत का सत्यापन कराए जाने के बाद लोकायुक्त द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया। शिकायतकर्ता ठेकेदार को केमिकल युक्त नोट (₹19000) दिए गए। प्रिंसिपल श्री सतपाल सिंह ने ठेकेदार को स्कूल में बुलाया। यहां अपने ऑफिस में उन्होंने अधिकार पूर्वक रिश्वत के 19000 रुपए प्राप्त किया। ठीक इसी समय स्कूल में सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उन्हें पकड़ लिया। केमिकल टेस्ट पॉजीटिव पाए जाने के बाद उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
सीबीआई पकड़ती तो जेल जाना पड़ता
यहां ध्यान देने वाली बात है कि केंद्रीय विद्यालय का स्टाफ, केंद्रीय कर्मचारी होता है। उसकी सेवाएं मध्य प्रदेश शासन के अधीन नहीं होती। जबकि लोकायुक्त पुलिस मध्य प्रदेश शासन के अधीन है। केंद्रीय कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की शिकायत सीबीआई में कर सकते हैं। यदि यह शिकायत सीबीआई से की जाती तो प्रिंसिपल को जेल भेज दिया जा सकता था, लेकिन कार्रवाई मध्य प्रदेश शासन की लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई है। यहां कानून थोड़ा नरम है। मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी की जाती है और फिर जमानत दे दी जाती है। पकड़े गए अधिकारी को जेल नहीं जाना पड़ता। रीवा में यदि यही कार्रवाई सीबीआई ने की होती तो प्रिंसिपल साहब को जेल यात्रा करनी पड़ सकती थी।
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