मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के अधिकारियों की मिली भगत के बाद 100 करोड रुपए के गबन का मामला फाइलों में हमेशा के लिए बंद हो गया। यह फाइल इतनी मजबूती से तैयार की गई है कि कोई सूचना का अधिकार के तहत साड़ी निकाल ले तब भी, किसी को दोषी साबित नहीं कर पाएगा।
मध्य प्रदेश में 100 करोड़ के गबन को कानूनी तौर पर क्लोज करने की कहानी
हैदराबाद की कंपनी ट्रांस ट्रॉय इंडिया लिमिटेड और मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के बीच में अनुबंध हुआ। हैदराबाद की कंपनी ने सड़क बनाई और टोल टैक्स की वसूली की। इसमें मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का हिस्सा उसके बैंक अकाउंट में जमा कराया जाना चाहिए था परंतु नहीं कराया गया। सड़क विकास निगम ने कंपनी के खिलाफ 100 करोड रुपए के गबन का आपराधिक मामला पुलिस थाने में दर्ज करवा दिया, लेकिन प्रेस को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। गुपचुप तरीके से FIR दर्ज हुई और उतने ही गोपनीय तरीके से मामले की इन्वेस्टीगेशन चल रही थी। इधर हाई कोर्ट में कंपनी की तरफ से FIR को चैलेंज किया गया। आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए पुलिस थाने में जो सरकारी दस्तावेज दिए गए थे उनमें कुछ ऐसी मूलभूत गड़बड़ियों की गई थी जिसके कारण हाईकोर्ट में FIR रद्द हो गई।
100 करोड़ का गबन भी हो गया और फाइल भी क्लोज हो गई
इस प्रकार मात्र कुछ ही महीना की एक्सरसाइज में 100 करोड रुपए का गबन भी हो गया और फाइल भी क्लोज हो गई। अब भविष्य में यदि कोई कभी इस गबन का मुद्दा उठाएगा तो सरकार बता देगी कि हम और हमारे अधिकारी निर्दोष हैं। हमने तो कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया था। इधर कंपनी को चवन्नी का नुकसान नहीं होना क्योंकि हाई कोर्ट द्वारा FIR निरस्त कर दी गई है। सिर्फ एक प्रश्न है जो अभी जिंदा है, वह 100 करोड रुपए जो सरकारी कंपनी के खाते में जमा होने थे, वह कहां है।
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