जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश के अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि सन 1956 के बाद ओबीसी के हित में मध्य प्रदेश में पहली बार हाई कोर्ट से कोई इतना महत्वपूर्ण और बड़ा फैसला हुआ है। आज दिनांक 01/12/2023 को मुख्य न्यायमूर्ति श्री रवि मालिमठ एवं श्री विशाल मिश्रा की खंड पीठ द्वारा याचिका क्रमांक 17387/2023 की सुनवाई के दौरान पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को अनुसूचित जाति जनजाति के उम्मीदवारों के समान योग्यता निर्धारित किए जाने का अंतरिम आदेश पारित कर दिया। मामला मध्य प्रदेश की न्यायिक सेवाओं में भर्ती परीक्षा का है।
भर्ती परीक्षा में ओबीसी उम्मीदवारों की योग्यता निर्धारण
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ने बताया कि, मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा नियम 1994 के नियम 5(3), (4) एवं 7(g) को प्रथम दृष्टया ओबीसी को अनारक्षित वर्ग के समान योग्यताए निर्धारित किए जाने वाले प्रावधानो को संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16(4) से असंगत मानकर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेशित किया गया है कि ओबीसी वर्ग को सिविल जज परीक्षा मे निर्धारित समस्त योग्यताए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जन जाति वर्ग के समान की जाकर, तीन दिन के अंदर अधिसूचना जारी करके वेबसाइट पर अपलोड की जाए तथा प्रदेश के समस्त ओबीसी अभ्यर्थी जो LLB परीक्षा मे 50% अंक धारित करते है उन सभी को उक्त परीक्षा मे ऑनलाइन आवेदन दाखिल करने हेतु आमंत्रित किया जाए।
उक्त जन हित याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में, ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के नरसिंहपुर जिला अध्यक्ष एवं गाड़रवारा अधिवक्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट जगदीश प्रसाद पटेल की बेटी कु. वर्षा पटेल द्वारा प्रस्तुत की गई थी। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह द्वारा मामले की पैरवी की जा रही है। जनहित याचिका में सिविल सेवा भर्ती नियम 1994 मे हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 23/6/2023 को किए गए समस्त संशोधनो की संवैधानिकता को चुनौती दीं गई है।
उक्त याचिका की आज दिनांक 01/12/23 को तीसरी सुनवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायमूर्ति श्री रवि मालिमठ एवं श्री विशाल मिश्रा की खंड पीठ को अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा बताया गया कि मध्य प्रदेश मे ओबीसी की 94 जातियाँ सूचिबद्ध है, जिसकी प्रदेश मे 51% आबादी है। जिसे राज्य शासन ने संविधान के अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत, आरक्षण देने हेतु मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 को विधायिका से अधिनियमित किया गया है।
उक्त अधिनियम की धारा 4(2) के तहत एस.सी. को 16%, एस.टी.को 20% तथा ओबीसी को 27% आरक्षण शासकीय सेवाओं मे दिए जाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 23/6/2023 को न्यायिक सेवा नियम 1994 मे संशोधन करके ओबीसी का आरक्षण समाप्त करके समस्त योग्यताए अनारक्षित वर्ग के समान कर दीं गई है, जिससे उक्त संशोधन भारतीय संविधान के अनुच्छेद :14, 16(4), 338(9), 338-A(9),338-B(9) का उल्लंघ्न है तथा उक्त संसोधन संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत शून्यकारणीय है।
अधिवक्ता के उक्त तर्कों को बेहद गंभीरता से लेते हुए अंतरिम आदेश पारित किया जाकर विवादित, संशोधन दिनांक 23/6/23 के नियम 5(3),5(4) तथा 7(g) को ओबीसी वर्ग के लिए अनारक्षित वर्ग के समान निर्धारित योग्यताओं को होल्ड करके अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के समान LL.B. मे 50% योग्यता तथा प्रारंभिक परीक्षा मे 55% क्वालीफाई मार्क्स तथा 45% क्वालीफाई मार्क्स मुख्य परीक्षा मे किए जाने का आदेश पारित कर दिया है। तत सम्वन्ध मे रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया गया है कि तीन दिवस के अंदर उक्त प्रावधानों मे संशोधन करके परिपत्र जारी किया जाए तथा प्रदेश के समस्त ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी जो LL.B. मे 50% अंक अर्जित किए है तथा सिविज जज परीक्षा मे भाग लेना चाहते है, उन सभी को वेबसाइट पर अधिसूचना जारी करके आमंत्रित किया जाए। याचिका मे विवादित अन्य बिन्दुओ को हाईकोर्ट के जबाब के बाद फायनल हीयरिंग के समय निराकृत की जायेगी। याचिका की अगली सुनवाई दिनांक 18/12/23 के पूर्व की जाऐगी।
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