मध्य प्रदेश राज्य शासन के कर्मचारियों के वेतन, प्रोविडेंट फंड और रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन से वेतन निर्धारण में त्रुटि के नाम पर अक्सर वसूली की जाती है। वेतन निर्धारण की प्रक्रिया में कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं होता लेकिन वसूली के समय अंतर की राशि के अलावा ब्याज भी वसूला जाता है। इसके खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। उच्च न्यायालय की फुल बेंच में मामले की सुनवाई पूरी हो गई है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पिछले 6 साल से बहस चल रही थी
अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया कि, उच्च न्यायालय जबलपुर की चीफ जस्टिस अध्यक्षता वाली फुल बेंच के समक्ष, वर्ष 2018 से कर्मचारियों से होने वाली वसूली से उद्भूत तीन बिंदु, निर्णय हेतु लंबित थे।
पहला प्रश्न था कि इंडेमनिटी बॉन्ड (क्षतिपूर्ति बंध), जो की रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों से लिया जाता है, उसके आधार पर, शासन कर्मचारी से वसूली कर सकता है या नही?
दूसरा प्रश्न यह था कि पेंशन नियम 1976 का नियम 65 शासन को रिटायर्ड कर्मचारी से वसूली का अधिकार प्रदान करता है या नही ?
तीसरा प्रश्न यह था कि वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से प्राप्त बाध्यकारी अंडरटेकिंग या वचन पत्र के आधार पर कर्मचारी से वसूली हो सकती या नही?
वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से ली गई अंडरटेकिंग, बलपूर्वक लिया गया वचन पत्र है
कर्मचारी वर्ग की ओर से हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, माननीय रवि मलीमठ (अध्यक्ष) सदस्य, माननीय जस्टिस श्री विशाल मिश्रा, सदस्य माननीय जस्टिस श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल तीन सदस्यो वाली फुल बेंच के समक्ष, हाई कोर्ट जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने पक्ष प्रस्तुत किया। अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी ने बताया कि, वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से ली गई अंडरटेकिंग, फोर्स्ड अंडरटेकिंग बलपूर्वक लिया गया वचन पत्र है। वेतन निर्धारण के लाभ हेतु, भविष्य में वसूली हेतु, कर्मचारी के पास वचन पत्र देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। उसकी अनुपस्थिति में कर्मचारी को वेतन निर्धारण का लाभ नही मिलेगा। अतः ऐसी अंडरटेकिंग स्वैच्छिक नही मानी जा सकती है।
अंडरटेकिंग के आधार पर, वसूली नही हो सकती
शासन द्वारा अपने प्रभाव का प्रयोग कर वचन पत्र लिया जाता है। ऐसी अंडर टेकिंग विधि की दृष्टि में क्रियान्वयन के योग्य नहीं होती है। अतः सेवा के दौरान या रिटायरमेंट के बाद भी, अंडरटेकिंग के आधार पर, वसूली नही हो सकती है। श्री चतुर्वेदी ने बताया कि अन्य बिंदुओं पर, विस्तृत बहस हुई है। सुनवाई के बाद पीठ द्वारा फैसला सुरक्षित कर लिया गया है।
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