मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा का दौर चल रहा है। दिग्विजय सिंह चुनाव के नतीजे को अपने नजरिए से देख रहे हैं और बाकी लोगों का अपना नजरिया है। बड़ी खबर यह है कि EVM आ जाने के बावजूद राजगढ़ की पांचो विधानसभाओं पर राज करने वाले राजा दिग्विजय सिंह, सभी सीटों पर हार चुके हैं। राघोगढ़ में भी उनके सुपुत्र जयवर्धन सिंह मात्र 5000 वोटो से जीत पाए। पत्रकार श्री श्याम चौरसिया ने, इन नतीजे की अपने तरीके से समीक्षा की है, आप भी पढ़िए
दिग्गी राजा का तिलस्म...
प्रदेश की सबसे हाई प्रोफ़ाइल राघोगढ़ विधानसभा सीट को फतह करने के लिए बीजेपी ने गुना के उपाध्यक्ष युवा हरेंद्र सिह बंटी पर दांव लगा कर पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिह और उनके पुत्र पूर्व काबीना मन्त्री जयवर्धन सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी थी। बंटी के तपोबल से जयवर्धन सिह की 65 हजारी जीत 05 हजार के अंदर सिमट जाने का गम राघोगढ़ किले को तो है ही साथ ही पूरे प्रदेश में राजा दिग्गी का तिलस्म कौशल चित्त होने की चर्चाएं जोरो से है। राजा दिग्गी अपनी कर्म भूमि राजगढ़ की पांचों सीट हार गए। और तो और, अपने अनुज छोटे राजा, सीनियर कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह को गुना की ही चाचौड़ा से 65 हजार की शर्मनाक हार से नही बचा पाए।
राघोगढ़ अपनी तस्वीर बदलने के लिए उतावला है
राघोगढ़ से जीत का अंतर 65 हजार से घट कर 05 हजार पर सिमट जाने का हैरत भरा गम किले में पसरा हुआ है। सबसे बड़ा झटका खामोश रहने वाले राघोगढ़ के काफी बुलन्दगी से मुखर होने से लगा। राघोगढ़ में भी अब अशोक नगर, सिरोंज, राजगढ़ जैसी विकास की तडप हिलोरे लेने लगी। राघोगढ़ अब ठगाना नही चाहता। वह अपनी तस्वीर बदलने के लिए उतावला है।
राघोगढ़ में आज तक कमल नही खिल सका
राघोगढ़ की तस्वीर बदलने का सपना लेकर CM शिवराज सिंह चौहान भी राजा दिग्गी के मुकाबले लड़ कर शर्मनाक हार का स्वाद चख चुके है। बीजेपी ने राघोगढ़ किले का तेज कम करने के खूब प्रयोग किए। मगर कामयाबी का कमल नही खिल सका। बीजेपी के इस सपने को हीरेन्द्र सिह बंटी ने पूरा किया। हलाकि बंटी जीते नही है। मगर हारे भी नही है।
पैदल सैनिक ने राजा के किले की दीवार गिरा दी
किले के राजा का मुकाबला एक पैदल सैनिक ने करके किले की प्रचीर गिरा दी। 65 हजार की जीत को 05 हजार में समेट यह जता दिया कि डर, आंतक के आगे, उज्ज्वल भविष्य है। राजा दिग्गी जैसे गुनी भी ये समझ गए कि अब पालकी ढोने वाले कहार के घुटने जबाब देने लगे।
चाचौड़ा - प्राइमरी की स्टूडेंट ने पॉलिटिक्स के प्रोफेसर को हरा दिया
यदि राजा दिग्गी अपने अनुज लक्ष्मण सिंह को जिता ले जाते तो झांकी उतनी नही पिटती, लेकिन बंटी ने न तो राजा दिग्गी को और न पूर्व काबीना मंत्री को राघोगढ़ से ज्यादा बाहर नही निकलने दिया। यदि राजा दिग्गी राघोगढ़ की तरह पूरी दम खम से थोड़ी मेहनत चाचौड़ा में कर लेते तो शायद लक्ष्मण सिंह को इतिहासिक शर्मनाक हार का सामना नही करना पड़ता। हराया भी तो एक 32 साला बीटेक युवती प्रियंका पेची मीणा ने। जिसने राजनीति का क,ख,ग पहली बार पढ़ा।
मतदाताओं ने खानदानवाद की पुंगी बजा दी
दिलचस्प, बात यह है कि खिंची गोत्र राजवंश की 03 हस्तियों को राजा ने, राजगढ़ लोकसभा सीट से उतारा था। जिनमे खिलचीपुर से पूर्व काबीना मन्त्री प्रियव्रत सिह खिंची को बीजेपी के मास्टर हजारीलाल दांगी ने 21 हजार वोटो से हराया। मतदाताओं ने खानदान वाद की पुंगी बजा दी।
विश्लेषक मानते है, यदि राघोगढ़ में राजा दिग्गी हवा बना लेते तो चाचौड़ा भी हाथ से नही निकलता। जयवर्धन सिह जीत भले ही गए हो मगर वे बीजेपी के हरेंद्र सिह बंटी के हौसलों को हरा नही सके। बंटी हार कर भी जीत गए। जयवर्धन सिह जीत कर भी हार गए।
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