मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के खिडगांव में दिनांक 10 दिसम्बर को एक मकान की खुदाई के दौरान टंट्या भील के सिक्के मिले हैं। सभी सिक्के चांदी के हैं, जो एक पुराने मकान के मलबे में से निकले हैं। टंट्या भील अंग्रेजों का खजाना लूटकर गरीबों में बांटते थे। इसीलिए एक विदेश अखबार ने उन्हे भारत का रॉबिन कहा था।
महारानी विक्टोरिया - 17वींं और 18वीं सदी के सिक्के है
जानकारी मिली है कि खिडगांव में रहने वाले सुरेश पटेल अपना पुराना मकान तोड़कर नया मकान बनवा रहे थे। मकान की नींव खोदने में जो मलबा और मिट्टी निकली उसे पटेल ने गांव के बाहर नदी किनारे फेंक दिया। अगले दिन वहां खेल रहे बच्चों को मलबे में चांदी का सिक्का मिला। बच्चों ने गांव के कुछ लोगों को बताया। इसके बाद गांव के लोगों ने मलबा छानना शुरू कर दिया। कुछ और लोगों को भी चांदी के सिक्के मिले। सिक्के मिलने की खबर के बाद स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आया। पुलिस भी मौके पर पहुंची तो मलबे में कुछ बचा नहीं था। ग्रामीणों को जो सिक्के मिले हैं वे 17वींं और 18वीं सदी के बताए जा रहे हैं। इन पर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की मुहर लगी हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई खजाना नहीं बल्कि जननायक भील टंट्या मामा की लूट का हिस्सा हो सकते हैं। सुरेश पटेल ने कहा- उनका परिवार कभी इतना समृद्ध नहीं रहा। उनके पूर्वज स्थानीय जमींदार के यहां मजदूरी करते थे। गांव के सरपंच रेवाशंकर पटेल का कहना है कि उनका गांव सैकड़ों साल पुराना है। उन्होंने पहले कभी सिक्के निकलते देखे तो नहीं, लेकिन आसपास के इलाके में पुराने सिक्के निकलने की बातें बहुत सुनी हैं। हो सकता है कि ये सिक्के भी वैसे ही हों।
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