कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने ट्वीट किया, 'मेरे पूर्व के किसी भी आचरण से दिग्विजय सिंह के सम्मान में कोई भी ठेस पहुंची हो तो क्षमा प्रार्थी हूं।' याद दिलाना जरूरी है कि, 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार काम कर रही थी तब तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंगार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। राजधानी भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि, दिग्विजय सिंह देश में ध्रुवीकरण कर रहे हैं। वो कमलनाथ सरकार को ब्लैकमेल करते हैं। दिग्विजय आखिर कांग्रेस को कब तक डराएंगे। 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तो मलाई काटने क्यों आ गए।
दिग्विजय सिंह कांग्रेस और सरकार के हर काम में दखल देते हैं
दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाते हुए सिंघार ने कहा था कि वो चुनिंदा विधायक और मंत्री के नाम पर ब्लैकमेल कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि जनता को रेत सस्ती मिले। फिर क्यों वह अपने ठेकेदारों को घुसेड़ते हैं। सरकार पर दबाव बनाते हैं। बच्चों की तरह जिद करते हैं। सिंघार ने यह भी कहा कि दिग्विजय संभागीय स्तर पर मीटिंग करते हैं। ट्रांसफर पोस्टिंग कराते हैं और मंत्रियों को चिट्ठी लिखकर उसे वायरल करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिग्विजय सिंह ने उनसे मिलने का समय मांगा है। इसलिए वे सारे काम छोड़कर उनके इंतजार में बैठे हैं। वह इस मामले में कमलनाथ से भी मुलाकात करेंगे।
दिग्विजय सिंह स्वयं को पावर सेंटर के रूप में स्थापित करते हैं
इससे पहले वन मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने आरोप लगाए था कि दिग्विजय सिंह, सरकार को अस्थिर कर स्वयं को पावर सेंटर के रूप में स्थापित करने में जुटे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि दिग्विजय पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं।
चुनाव में कांग्रेस पार्टी के जीत जाने के बाद यदि उमंग सिंघार माफी मांगते तो बात समझ में भी आती, लेकिन हार जाने के बाद जब जिम्मेदारी निर्धारित करने का वक्त था तब उमंग सिंगार का इस प्रकार से माफी मांगना, समझ नहीं आया कि सचमुच माफी ही मांग रहे हैं या तंज कसा है।
यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उमंग सिंघार गंधवानी विधानसभा से 22000 से अधिक वोटो से चुनाव जीत गए हैं, जबकि दिग्विजय सिंह अपने सबसे प्रभाव वाले जिले राजगढ़ में सभी पांचो सीट हार चुके हैं। उनके भाई लक्ष्मण सिंह, उनके भतीजे प्रियवत सिंह, उनके दोस्त दो गोविंद सिंह, उनके रिश्तेदार केपी सिंह सब चुनाव हार चुके हैं। यहां तक कि उनके अपने घर राघोगढ़ से उनके सुपुत्र एवं उत्तराधिकारी जयवर्धन सिंह मात्र 5000 वोटो से चुनाव जीत पाए।
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