भारत की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के हेड क्वार्टर में हाई कमान के सामने मध्य प्रदेश के शीर्ष कांग्रेसी नेता श्री कमलनाथ, श्री दिग्विजय सिंह, डॉ गोविंद सिंह और कांतिलाल भूरिया इत्यादि प्रस्तुत हुए। हाई कमान मध्य प्रदेश में बड़े बदलाव की हिम्मत नहीं जुटा पाया। कमलनाथ की कुर्सी बच गई है। प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। पिछली मीटिंग में हाई कमान ने इस्तीफा मांग लिया था। इसके बाद खबर आई थी कि कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है परंतु फिर पता चला कि राहुल गांधी उनका इस्तीफा मंजूर करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
कमलनाथ का 40 साल का अनुभव काम आया
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के बाद यह बात प्रमाणित हो गई है कि स्वर्गीय संजय गांधी के स्कूल फ्रेंड श्री कमलनाथ के पास 40 साल की राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन कांग्रेस हाई कमान और गांधी परिवार को कैसे मैनेज करने का अच्छा खासा अनुभव है। दरअसल 40 साल इसी में बीते हैं। एक बार फिर 40 साल का अनुभव काम आया। सन 2018 में कमजोर सरकार, 2019 में लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर शिकस्त, 2019 में ही सत्ता परिवर्तन और उसके बाद उपचुनाव में शर्मनाक हार के बावजूद श्री कमलनाथ ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड वोटो से हार कर चारों खाने चित हो गए। इन्हीं के जमाने का कोई दूसरा नेता होता तो शर्म के मारे इस्तीफा दे देता, लेकिन कमलनाथ मोर्चे पर डटे रहे। दिल्ली में हाई कमान ने खूब-खरी-खोटी सुनाई। एक बार तो इस्तीफा देना ही पड़ गया था, परंतु अंतिम समय में श्री कमलनाथ, गांधी परिवार को मैनेज करने में सफल हो गए।
कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष, पर्यवेक्षक पूछेंगे
मीटिंग में श्री कमलनाथ को मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी विधायक दल के नेता अर्थात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कंप्रोमाइज करना पड़ा। तय किया गया है कि दिल्ली से पर्यवेक्षक आएंगे। विधायकों की बैठक बुलाई जाएगी। इसी बैठक में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होगा। इस व्यवस्था के बन जाने से श्री कमलनाथ एवं श्री दिग्विजय सिंह को अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए थोड़ा समय मिल गया है। बैठक के दिन तक कुछ ना कुछ ऐसा जरूर कर लेंगे, ताकि पर्यवेक्षकों का आना और विधायकों की बैठक एक औपचारिकता मात्र रह जाए। फैसला वही होगा जो राजा साहब बताएंगे और साहब चाहेंगे।
कांग्रेस पार्टी में तनाव बरकरार
मीटिंग में फैसला भले ही, श्री कमलनाथ के पक्ष में हो गया परंतु तनाव बरकरार है। दिल्ली में जब श्री कमलनाथ मीटिंग से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर वह तनाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। टीवी पत्रकार कैमरा लेकर उनके बयान का इंतजार कर रहे थे परंतु उन्होंने एक शब्द नहीं कहा और अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए। शायद सवालों से बचना चाहते थे। उनके पीछे-पीछे नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह और कांतिलाल भूरिया भी निकले। उन्होंने भी पत्रकारों से नजर बचाई और निकल गए। अंत में मीडिया को मैनेज करने के लिए मध्य प्रदेश के प्रभारी एवं कांग्रेस पार्टी की हार के तीसरे जिम्मेदार श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला आए और उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से बताया कि, प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदला जाएगा। नेता प्रतिपक्ष का चुनाव किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के मध्य प्रदेश संगठन में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होगा, और अब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है।
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