मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में शर्मनाक शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी के दोनों नेता श्री कमलनाथ और श्री दिग्विजय सिंह अपनी पोजीशन बचाने के लिए, कई तरह के उपक्रम कर रहे हैं। श्री दिग्विजय सिंह ने जनता की अदालत में कुछ डॉक्यूमेंट पेश करते हुए पूछा था कि, सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस को वोट दिया तो फिर जनता ने वोट क्यों नहीं दिए। अब कमलनाथ ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों से पूछा है कि, तुम बताओ जनता ने मुझे वोट क्यों नहीं दिया।
कमलनाथ ही चेहरा थे, कमलनाथ ही जिम्मेदार हैं
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस पार्टी का चेहरा कमलनाथ थे। कमलनाथ के घर पर हुई मीटिंग में, कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी का मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषित किया गया था। मध्य प्रदेश की राजनीति में उनके साझेदार श्री दिग्विजय सिंह ने अपने बयानों में कई बार इसकी पुष्टि की थी। स्पष्ट था कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो कमलनाथ मुख्यमंत्री होंगे। यदि कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता तो, इसे कमलनाथ की जीत कहा जाता। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कोई भी बयान जारी करें लेकिन अब जो परिणाम आए हैं, वह भी कमलनाथ के लिए ही माने जाएंगे। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश की जनता ने इस चुनाव में कमलनाथ को नकार दिया है। शिवराज सिंह की तुलना में रिजेक्ट कर दिया।
पोजीशन बचाने के लिए कमलनाथ क्या कर रहे हैं
राजनीति के नैतिक सिद्धांत कहते हैं कि इतनी शर्मनकहार के बाद श्री कमलनाथ को अपने सभी पदों से इस्तीफा और श्री दिग्विजय सिंह को राजनीति से संन्यास लेकर तीर्थ यात्रा पर निकल जाना चाहिए, लेकिन दोनों नेता अपनी पोजीशन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस EVM से 2018 में कांग्रेस पार्टी की सरकार बन गई थी, अब उसी EVM मशीन को दोष देकर, अपना फैलियर छुपा रहे हैं। कमलनाथ भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं।
कहा है कि दिल्ली से लौट के बाद मध्य प्रदेश के सभी जिलों का दौरा करेंगे। सभी प्रत्याशियों से पूछेंगे कि, कांग्रेस पार्टी की हार का कारण क्या है। यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि संगठन कहां कमजोर है। कुल मिलाकर बैक टू बैक लगातार तीन बार हारा हुआ नेता पूरे मध्य प्रदेश का दौरा करके उन सिरों का पता लगाएगा, जिन पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ सके।
मजेदार बात यह है कि, इन्हीं कमलनाथ ने चुनाव से पहले पूरे मध्य प्रदेश में घूम-घूम कर, और कई बार प्राइवेट एजेंटीयों के माध्यम से सर्वे करा कर यह पता लगाया था कि, कौन सा दावेदार जिताऊ है, उसी के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया गया था।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि, 40 साल के अनुभव के बाद जिस राजनेता की रिसर्च, बार-बार गलत साबित हो रही हो, हाई कमान उसे पर विश्वास ही क्यों कर रहा है। आरोग्य और अस्वस्थ घोषित करके, VRS क्यों नहीं दे देता।
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