मध्य प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद श्री दिग्विजय सिंह की पॉलीटिकल लाइफ में 2003 के बाद 2023 सबसे महत्वपूर्ण साल है। इस बार भी दिग्विजय सिंह बिल्कुल वैसे ही कॉन्फिडेंट थे जैसे 2003 में थे। लेकिन चुनाव के परिणाम बताते हैं कि 2023 में दिग्विजय सिंह की शिकस्त 2003 से भी ज्यादा शर्मनाक है। उनका अपना भाई-भतीजा, दोस्त-समर्थक सब हार गए। यहां तक कि जिस राघोगढ़ के राजा साहब कहलाते हैं, उसे विधानसभा सीट से उनके अपने सुपुत्र मतगणना के दौरान कई बार दखल देने के बाद मात्र 5000 वोटो से चुनाव जीत पाए।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव - दिग्विजय सिंह के कितने समर्थक प्रत्याशी चुनाव हारे
श्री लक्ष्मण सिंह - दिग्विजय सिंह के भाई चाचौड़ा विधानसभा सीट से न केवल चुनाव हार गए हैं बल्कि काफी शर्मनाक स्थिति है। भारतीय जनता पार्टी की महिला नेता श्रीमती ममता मीना ने बगावत करके आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा था इसके बावजूद लक्ष्मण सिंह 61570 वोट से चुनाव हार गए।
श्री प्रियवत सिंह खींची - दिग्विजय सिंह के भतीजे, खिलचीपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे। इस क्षेत्र में इनका अपना रुतबा है, इसके बावजूद चुनाव हार गए। हालांकि शिकायत सम्मान न रखें। क्योंकि जीत हार का अंतर मात्र 13678 वोट है।
डॉ गोविंद सिंह - दिग्विजय सिंह के दोस्त, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भिंड जिले की लहर विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे। 12397 वोट से चुनाव हार गए।
श्री जीतू पटवारी - दिग्विजय सिंह के सबसे दमदार समर्थक, इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे। चुनाव हार गए।
श्री कुणाल चौधरी - दिग्विजय सिंह के समर्थक, कालापीपल विधानसभा से प्रत्याशी थे। 2018 का विधानसभा चुनाव जीत चुके थे। यह दूसरा चुनाव था, जो हार गए।
श्री केपी सिंह कक्काजू - दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार, दिग्विजय सिंह ने इन्हें शिवपुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया था। लगभग 50000 वोटो से चुनाव हार गए हैं।
श्री पुरुषोत्तम डांगी - ब्यावरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। यहां पर दिग्विजय सिंह के आशीर्वाद से लोग चुनाव जीत जाते हैं परंतु इस बार प्रजा ने राजा को रिजेक्ट कर दिया।
श्री बापू सिंह तंवर - राजगढ़ विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे। यहां भी जिस प्रत्याशी के पोस्ट पर दिग्विजय सिंह का फोटो लगाओ पब्लिक उसे वोट दे दिया करती थी परंतु इस बार प्रजा ने राजा को रिजेक्ट कर दिया।
श्रीमती काला महेश मालवीय - दिग्विजय सिंह ने सारंगपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। 23054 वोट से चुनाव हार गई है।
श्री गिरीश भंडारी - नरसिंहगढ़ सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे, 31000 वोट से चुनाव हार गए।
मध्य प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह का किला ढह गया
उपरोक्त सभी राजा साहब दिग्विजय सिंह के नवरत्न थे। यदि कांग्रेस की सरकार बनती और दिग्विजय सिंह के हिस्से में मात्र 9 मंत्री पद आते तो उपरोक्त सभी मंत्री बनते। यह सभी दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश की राजनीति में राजा साहब और सबसे बड़ा नेता बनाते हैं। इनका चुनाव हरदान मतलब दिग्विजय सिंह का चुनाव हार जाना। इनकी शिकायत का मतलब है, मध्य प्रदेश और कांग्रेस पार्टी की राजनीति में दिग्विजय सिंह का किला ढह जाना।
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